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एक एकड़ के बाग़ में एक सीजन में कमा लेते है 8 से 10 लाख रूपये


सत्येन्द्र खरे 
कौशाम्बी:सुरखा, सेबिया, सफेदा, और तो और गरीब का सेब जैसे नामो से मशहूर अमरूद यानी गुवावा अपने खास रंग रूप के कारण देश और दुनिया में नाम कमा रहा है | कौशाम्बी की खास माटी में पैदा होने वाला यह सबिया अमरूद बागवान किसानो को आम के आम और गुठलियों के दाम देकर उन्हें मालामाल कर रहा है | सेब की तरह दिखने वाले अमरुद में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तत्व भरपूर मात्रा में मिलते है , यही कारण है कि डाक्टर भी इसका नियमित सेवन की सलाह देते है । अब यदि आप को मौसमी संक्रमण से दूर रहना है तो आप को भी सुरखा अमरुद को रोज अपने दैनिक आहार में शामिल करिये । 


क्या कहते है किसान 
कौशाम्बी की अमरुद की बागो में पैदा होने वाला सेब की तरह सुर्ख लाल अमरूद अक्सर लोगो को धोखा दे जाता है कि यह अमरूद है या सेब | सेब की तरह दिखने वाला यह सुर्ख लाल अमरुद अब कौशाम्बी के किसानो की पहचान बन चुका है | अमरूद के बागबान आन्स मोहम्मद बताते है कि उन्होंने इस साल 1 एकड़ में अमरूद की बाग़ लगाईं है , जिसमे सुरखा अमरूद में पेड़ ज्यादा है | उम्मीद है कि इस साल वह पेड़ में लादे फलो के आधार पर एक सीजन में 8 से 10 लाख रुपये कमा लेगे | 

क्या कहते है व्यापारी 
सेबिया अमरूद इन्सान तो इंसान पक्षियों को देखने में जितना खुबसूरत होता है , उतना ही खाने में स्वादिष्ट भी होता है | कौशाम्बी के बाजारों से आगे बढ़ कर देश व् विदेश के कई बाजारों में सेबिया अमरुद अपनी मिठास की खुशबू बिखेर रहा है| सबिया अमरुद के नाम से पहचाना जाने वाला यह अमरुद कौशाम्बी के कई इलाके में एक ख़ास वातावरण के कारण पैदा होता है | जैसे-जैसे सर्दी बढती है इन अमरूदो का रंग और अधिक सुर्ख हो जाता है | कौशाम्बी में फलो के बड़े व्यापारी और दूकानदार मोहम्मद इरफ़ान अपनी खास पसंद और ग्राहको की पसंद के अनुसार ही सफेदा और सुरखा अमरूद जिले में बेचते है और उत्तर प्रदेश की दूसरी मंडियों में भी अपना माल भेज कर मुनाफा कमा रहे है |  

कौशाम्बी के अमरूद की डिमांड कई राज्यों में भी है 
अब तक इलाहाबादी अमरुद के नाम से बाज़ारो में वाला यह खास किस्म का अमरुद अब कौशाम्बी ब्रांड के नाम से जाना जाता है । कौशाम्बी जिला प्रशासन ने इसके लिए कौशाम्बी विजन योजना के तहत कौशाम्बी के बागो से जाने बाज़ारो में जाने वाले अमरुद पर कौशाम्बी ब्रांड नाम का स्टिकर चस्पा होगा , कौशाम्बी की इस खास पहचान को देश दुनिया बाज़ारो और अमरुद के कद्रदानो को बतायेगा । इसके साथ ही कौशाम्बी में इस बार 1000 हेक्टेयर में अमरूद की बागवानी कराइ गई है | अपर जिला उद्यान अधिकारी कौशाम्बी मेवा राम भी इस बात से इनकार नहीं करते है कि कौशाम्बी का अमरूद बागवान अब दुसरे राज्यों के मार्केट को सप्लाई कर आर्थिक फायदा उठा रहे है |  

कैसे इलाहाबादी अमरूद बना कौशाम्बी ब्रांड 
कभी कौशाम्बी इलाहाबाद जिले का एक हिस्सा हुआ करता था लेकिन बसपा की सरकार में कौशाम्बी को जिले के रूप में पहचान मिली | जिसके बाद से ही कौशाम्बी के एक ख़ास फल अमरूद को भी नई पहचान मिलना स्वाभाविक हो गया | कौशाम्बी के पूर्व जिला अधिकारी सतेन्द्र कुमार सिंह ने कौशाम्बी की एक खास पहचान वाले सुर्ख लाल अमरूद को कौशाम्बी ब्रांड नाम दिया और भारत सरकार को इस बात का एक पत्र लिखा और इलाहाबादी अमरूद को कौशाम्बी ब्रांड के नाम से अपनी पहचान मिल गई | जिसके बाद इलाहाबादी अमरूद के नाम से जाना जाने वाला सुर्ख लाल अमरूद कौशाम्बी ब्रांड के नाम से प्रदेश और प्रदेश के बाहर की मंडियों में यह सुर्ख लाल अमरुद कौशाम्बी ब्रांड के नाम से सप्लाई किया जाने लगा | 

कैसे आता है कौशाम्बी ब्रांड अमरूद में सुर्ख लाल रंग 
कौशाम्बी के नेवादा, चायल, कड़ा, मंझनपुर और सिराथू ब्लाक के कुछ खास हिस्सों में ही अमरूद की एक खास किस्म पाई जाती है जिसमे अमरूद सेब की तरह सुर्ख लाल रंग का होता है | कृषि विज्ञानी डॉ अजय सिंह बताते है कि गंगा और यमुना नदी के बीच में बसे कौशाम्बी जिले में एक खास तरह की जलवायु पायी जाती है, जिसके कारण यहाँ बागो में पैदा होने वाले अमरूद में सेब की तरह सुर्ख लाल रंग पाया जाता है | विटामिन A और C के साथ फाइबर की मौजूदगी अमरूद को गरीब का सेब बनाती है | डॉ अजय सिंह के अनुसार इस सुर्ख लाल अमरूद के पौधे को जिले से बाहर के वातावरण में लगाया गया , जिसके परिणाम स्वरुप अमरूद के पौधे में आये फल में कौशाम्बी जैसे लाल रंग नहीं मिले | इस परिणाम के बाद से ही इस बात पर कृषि के वैज्ञानिक शोध कर रहे है कि आखिर कौशाम्बी की जलवायु में ऐसा क्या है जिसके कारण यहाँ अमरूद का रंग ठण्ड बढ़ाने के साथ ही अपनी लालिमा को बढ़ा देता है | 

नई तकनीकी से बदलेगी अमरूद किसानो की किस्मत 

अमरुद के सीजन में जिले के लोग सेब भूल जाते है। शौक़ीन लोग सेब की जगह स्वादिस्ट सेबिया अमरुद खाते है।उद्यान विभाग के अधिकारी मेवा राम बताते है कि विभाग की तरफ से सहयोग मिलने पर तमाम किसानो का रुख खेती की तरफ से हटकर अमरूद की बागवानी की तरफ तेजी से बढ रहा है| उद्यान विभाग अमरुद की बागवानी नई तकनिकी से कराये जाने कराये जाने का प्रयास कर रहा है। जिले के किसान भी अमरुद की बागवानी करके काफी खुश है | अमरुद के बागवान हर साल इससे बढ़िया मुनाफा कमाते है। यही कारन है कि तकरीबन 700 किसान परिवार खेती छोड़ अमरुद की बागवानी करने लगे है। बागवानो को सरकारी सहायता मिलने से उनके हौसले मजबूत हो रहे है। कौशाम्बी का सेबिया अमरूद खास तौर पर जिले के नेवादा कड़ा सिराथू मूरतगंज और मंझनपुर ब्लाक के किसानो की किस्मत बदलने में अहम् भूमिका अदा कर रहा है| यही कारण है कि अपर जिला उद्यान अधिकारी कौशाम्बी मेवा राम किसानो के बढ़ाते रुझान के कारण विभाग की तरफ से इस साल 15 हेक्टेयर में सघन और 15 हेक्टेयर सामान्य अमरुद की खेती सरकारी खर्च पर कराइ है । इस तरह जिला उद्यान विभाग ने 1000 बीघे में अमरूद की बागवानी कराई है |विभाग अब किसानो की पैदावार को देखते हुए हाई डेस्टिंग प्लाटिंग के जरिये अमरुद खेती करने का मसौदा तैयार कर रहा है | इस नई तकनिकी के जरिये एक हेक्टेयर में 1110 पौधे अमरुद के लगाये जा सकेंगे। ड्रिप सिचाई से पानी की भी बचत किया जायेगा। 


अमरुद एक फायदे अनेक   

अमरुद एक फायदे अनेक यानि आम के आम गुठलियो के भी दाम वाला फल है अमरुद । एंटी आक्सीडेंट से भरपूर विटामिन सी , हाई कोलेस्ट्रोल से लड़ने वाला फाइबर , संक्रमण से लड़ने वाला विटामिन ए और सूरज की हानिकारक यूवी किरणो से त्वचा की रक्षा करने वाला लाइकोपीन जैसे फायदेमंद तत्वो से भरपूर अमरुद इंसान से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला कुदरती इंतजाम है । अमरुद सर्दियों का फल है । सर्दियों में अमरुद को लेकर धारणा है कि यह फल ठंडी तासीर वाला फल है , जिस कारण ज्यादातर लोग इसके सेवन से बचते है , जबकि हकीकत यह है कि अमरुद प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कारगर होता है । नियमित रूप से इसका सेवन करने से आपको सामान्य मौसमी संक्रमण से दूर रहने में मदद मिल सकती है । जिला अस्पताल कौशाम्बी के मेडिकल अफसर डॉ ज्ञानेंद्र सिंह भी बताते है कि अमरुद में संतरो से ज्यादा विटामिन सी होता है जिस कारन इंसान के शरीर में श्वेत रक्त कणो को मजबूती प्रदान करता है । वैसे तो अमरुद का सेवन प्राकृतिक अवस्था में खाना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है ।

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