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बस्ती:अनेकता में एकता का संदेश देती है वैदिक संस्कृति:आचार्य संजीव


राकेश गिरी 
बस्ती। वैदिक संस्कृति अनेकता में एकता का संदेश देती है सभी भारतवासी आर्य ही है। आर्य किसी जाति का वाचक नहीं बल्कि श्रेष्ठता का सूचक है ध्वज को फहरा कर हम अपने उत्साह और स्वत्रंता का उद्घोष करते है ताकि हमारा मानसिक स्तर ऊॅचा रहे। पूरे समाज की प्रसन्नता चाहते हुए हम ओम ध्वजा फहराते हैं। उक्त बाते आर्य समाज नई बाजार बस्ती के 45वें वार्षिकोत्सव के शुभारम्भ  मंे ध्वजारोहण करते हुए बरेली से पधारे आचार्य संजीव रूप जी ने कही। इससे पश्चात् कार्यक्रम स्थल से एक विशाल शोभा यात्रा पुरानी बस्ती क्षेत्र के मुख्य मार्गांे से होकर गुजरी जिसका जगह-जगह राजेन्द्र जायसवाल, दिलीप कसौधन,नन्दकिशोर, शंकर जायसवाल, अजीत कसौधन, रामबाबू अग्रवाल, अलख निरंजन आर्य, आनन्द स्वरूप आर्य, वीरेन्द्र सिंह, सावन कृपाल रूहानी मिशन आदि ने जलपान व पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। शोभा यात्रा में जिले के विभिन्न आर्य समाजों के अलावा हिन्दू युवा वाहिनी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, हिन्दू जागरण मंच, विश्व हिन्दू परिषद, बस्ती विकास मंच, शिवसेना, अभाविप, भाजपा, व्यापार मण्डल, अधिवक्ता परिषद, वरिष्ठ नागरिक संगठन, पतंजलि योग समिति, भारत स्वाभिमान आदि प्रमुख संगठनों ने हिस्सा लिया। एक तरफ विद्वान जन लोगांे को चार दिवसीय महोत्सव की सूचना दे रहे थे तो दूसरी ओर आर्य वीर, वीरांगानओं के शौर्य प्रदर्शन से लोगों के मन मंे वैदिक धर्म की अमिट छाप पड़ रही थी। वैदिक धर्म की जय, आर्य समाज अमर रहे, वेद की ज्योति जलती रहेगी, ओम का झण्डा उॅचा रहेगा भारत माता की जय, अमर शहीदो की जय इत्यादि गगन भेदी नारो से वातावरण गूॅज रहा था। विद्वानों के भजनोपदेश वास्तव मंे लोगों को वेदों की ओर लौटने पर विवश कर रहे थे। इस अवसर पर दिनेश शास्त्री एवं देवव्रत आर्य के नेतृत्व मंे बच्चों ने सर्वांगसुन्दर व्यायाम, लाठी, जूडो, नानचक्र, गोला आदि का प्रदर्शन कर वैदिक संस्कृति की रक्षात्मक प्रक्रिया के दर्शन कराये। साथ ही विभिन्न प्रकार के स्तूपों का प्रदर्शन कर लोगो को हतप्रभ कर दिया। झांकी में बना वेद दर्शन सबको आकर्षित कर रहा था तो उसमें दयानन्द जी वेदों की ओर लौटने का संदेश देकर जनता को प्रभावित कर रहे थे। इस अवसर पर आर्य समाज के प्रधान ओम प्रकाश आर्य ने आम जनमानस को इस वैदिक कार्यक्रम में आने का न्योता देते हुए कहा कि वेद में जीवन को उत्तम बनाने के तमाम मंत्र दिये हुए है जिनका श्रवण मनन कर हम अपने जीवन को तो श्रेष्ठ बना ही सकते है साथ ही समाज के साथ हमारा आचरण ठीक रहने से भाईचारे का वतावरण बनता है। इस प्रकार घर और बाहर चहुॅ ओर शान्ति व शुचिता का पर्यावरण बन जाता है। इस अवसर पर नन्दीश्वर दत्त ओझा, अमरेश पाण्डेय, पंकज श्रीवास्तव, नवीन श्रीवास्तव, ओम प्रकाश मिश्र, नन्दकिशोर, चुनमुन लाल, हरीराम आर्य, आदित्य नारायण गिरि, दिनेश गुप्ता, अनुराग शुक्ल, नवल किशोर, रवि पासवान, अशोक बरनवाल, महेश शुक्ल, चुनमुन लाल, सुभाष वर्मा, अजय आर्य, हनुमान आर्य, गोपेश्वर त्रिपाठी, जितेन्द्र यादव, देवव्रत आर्य, ज्योति, बीना बर्मा, नीलम गुप्ता, माधुरी, अरविन्द श्रीवास्तव, दिनेश मौर्य, अम्बिका प्रसाद उपाध्याय, अनूप कुमार त्रिपाठी, राधेश्याम कसेरा, घनश्याम,राजेन्द्र, दिलीप कसौधन, राम बाबू, अजीत कसौधन मोनू सरदार तथा अन्य लोग उपस्थित रहे। 

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