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पृथ्वी पर माँ के अदभुद स्थानों में से एक है दिल्ली का कालकाजी मन्दिर


रिपोर्ट:- नित्यम श्रीवास्तव


दिल्ली। भारत के दिल कहे जाने वाली दिल्ली यूँ तो अपनी राजनीतिक छवि व देश की राजनीतिक चाल चलन के कारण लोगो के बीच चर्चा का विषय बना रहता है। मगर इसी दिल्ली की बात अगर अध्यात्म से जोड़ कर करें तो कालकाजी मंदिर का नाम आना लाज़मी है। दिल्ली का प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर, भारत में सबसे अधिक भ्रमण किये जाने वाले प्राचीन एवं श्रद्धेय मंदिरों में से एक है। यह दिल्ली में नेहरू प्लेस के पास कालकाजी में स्थित है। यह मंदिर धरती पर माँ दुर्गा के एक अवतार का सक्षात वर्णन है व देवी काली को समर्पित है।

दिल्ली के इसी सिद्ध पीठ के पुजारी परिवार से तालुक रखने वाली सुधा भरद्वाज ने बताये मन्दिर के रोचक तथ्य,सुधा जी बताती है कि, यह मनोकामना सिद्ध पीठ के नाम से भी जाना जाता है। मनोकामना का अर्थ है कि यहाँ भक्तों की सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इस मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा भी बहुत रोचक है।

ऐसा कहा जाता है कि देवी काली का जन्म देवी पार्वती से हुआ था, जो राक्षसों की बड़ी संख्या से अन्य देवताओं की रक्षा करना चाहती थी। देवी ने यहाँ निवास के रूप में जगह ली और इस प्रकार यह स्थान एक मंदिर के रूप में उभरा। यह मंदिर ईटों की चिनाई द्वारा बनाया गया था परन्तु वर्तमान में यह संगमरमर से सजा है एवं यह चारों ओर से पिरामिड के आकार वाले स्तंभ से घिरा हुआ है।

मंदिर का गर्भगृह 12 तरफ़ा है जिसमें प्रत्येक पक्ष पर संगमरमर से सुसज्जित एक प्रशस्त गलियारा है। यहाँ गर्भगृह को चारों तरफ से घेरे हुए एक बरामदा है जिसमें 36 धनुषाकार मार्ग हैं।हालांकि मंदिर में रोज़ पूजा होती है पर नवरात्री के त्यौहार के दौरान मंदिर में उत्सव का माहौल होता है।

नवरात्री का त्यौहार वर्ष में दो बार आता है। इस दौरान भक्त यहाँ एकत्रित होते हैं एवं देवी दुर्गा की स्तुति में भजन गाते हैं।


क्या कुछ बताती है पुजारी सुधा भरद्वाज


●मंदिर के बारह दरवाजों का सम्बंध 12 राशियों से है।


●36 वर्णमालाओं का जन्म भी इसी सिद्ध पीठ से हुवा है।


●माँ के तीन पिण्डियों का एक ही रूप में वास करना है अदभुद।


●अंधों को नेत्र दायनी के रूप में प्रसिद्ध है स्थान

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