ताजुल हुसैन कैसरगंज (बहराइच)। खेतों में इस समय धान और मक्का की पैदावार हुई है,फिर भी ट्रैक्टर-ट्राली पर लादकर गल्ला मंडी में खुलेआम खुला गेहूं ले जा रही ट्राली इस बात की गवाह है कि सरकार जो गेहूं पात्र गृहस्थी और अंत्योदय कार्ड धारकों के लिए गरीबों को देती है वह गेहूं उन्हें ना मिलकर मंडी में बिक्री हो जाता है। सरकारी बोरी बिल्कुल हटा दी जाती है जिससे आप यह न समझ सकें कि यह सरकारी खाद्यान्न बिकने के लिए मंडी जा रहा है,पूरी ट्राली मंडी चली जाती है।
और ट्रैक्टर ट्राली कांटा हो जाती है ट्राली खाली करने के पश्चात पुनः ट्रैक्टर ट्राली काटा हो जाती है। हम आपको सिर्फ एक ही ट्रैक्टर ट्राली दिखा रहे हैं लेकिन सिर्फ एक ही ट्रैक्टर ट्राली से धंधा नहीं होता है,कई ट्रैक्टर ट्राली ऐसी हैं, जो इस धंधे में पूरी तरह लिप्त है। कुछ ट्रैक्टर-ट्राली ऐसी भी हैं जो सरकारी बोरी में ही गेहूं और चावल मंडी ले जाती हैं। फर्क सिर्फ इतना ही होता है कि बोरी पलट जाती है और मुंह बांध दिया जाता है तथा खुलेआम किसान का गल्ला बनाकर कैसरगंज की गल्ला मंडी में बेच दिया जाता है। इन गल्ला माफियाओं का सम्बंध गोदाम प्रभारी से लेकर प्रशासन तक के अधिकारी व कर्मचारी तथा खाकीधारी से खादीधारी तक रहता है। इसीलिए कोई भी पत्रकार इनके खिलाफ ना तो लिखता है और ना ही आवाज उठाता है,क्योंकि गल्ला माफियाओं के खिलाफ लिखने का मतलब सीधा प्रशासन से बैर लेने के समान है। प्रशासन की मिलीभगत होने के कारण यह गल्ला माफिया दिनदहाड़े ही अपने काम को अंजाम देने में जरा सा भी नहीं हिचकिचाते हैं।
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