खुर्शीद खान
सुल्तानपुर ।उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में लगातार दूसरी मर्तबा दो धर्मों के त्योहार दुर्गा पूजा और मोहर्रम अपने रीति रिवाजों के साथ मिलकर आपसी सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाया गया। जिसमें दोनों समुदाय के लोगों ने आपसी भाईचारा के साथ क़दम से क़दम मिलाकर कट्टरवादी विचारधाराओं के मुंह पर जोर दार तमाचा जड़ा है।
एक तरफ जहां पंडालों में असत्य पर सत्य की विजय प्राप्त करने वाली दुर्गा जी की मूर्ति स्थापित कर अपनी आस्था के अनुसार पूजा पाठ किया जा रहा था वही दूसरी तरफ तज़ियादार भी हक़ की राह चलने वाले और पूरे ब्रम्हाड में अहिंसा का रास्ता दिखाकर उस पर विजय प्राप्त करने वाले इमामे हुसैन(र0जी0)की शहादत को याद करते हुए शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए जुलूस भी निकाला गया
दोनों समुदाय की ओर से हमेशा से ही गंगा जमुनी तहज़ीब के साथ आपसी भाईचारे की मिसाल पेश की जाती रही है।कुछ वर्ष पूर्व में भी दुर्गा पूजा और मोहर्रम एक साथ मनाया गया था और इसी तरह पूरे आलम के लिए रहमत बनकर आये हजरत मोहम्मद साहब(सल्ल0) के जन्म दिवस (बारह रबीउल अव्वल) के अवसर पर पूरी रात चलने वाले इस प्रोग्राम को होली के पावन पर्व के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आपसी भाईचारा के लिए सिर्फ 12 बजे रात तक ही मनाया।
गुलाम मोईनुद्दीन ने कहा कि हमारे देश में लोकतंत्र होने के नाते सभी समुदाय के लोगों को अपने आस्था के अनुसार धर्म को मानने की पूरी आजादी है और हमारा मानना है कि हिन्दुस्तान के नागरिक होने के नाते सभी हिन्दुस्तानी किसी भी धर्मों के त्यौहार को किसी एक समुदाय से न जोड़ते हुए हिंदुस्तानियों का त्यौहार के रुप में देखेगें तो हमेशा ही पूरे मुल्क में आपसी सौहार्द कायम रहेगा।
दुर्गा पूजा समिति के लोगों ने कहा कि मुझे भी बड़ी खुशी है कि दोनों त्यौहार जिसका मकसद असत्य पर सत्य की विजय है को आपसी भाईचारा के साथ मनाया गया और दोनों तरफ अराजकता फैला कर साम्प्रदायिक हिंसा पैदा करने वाले लोग होते हैं अगर हम उन लोगों को ऐसा करने से मोहब्बत के साथ समझाने की कोशिश करे तो हमारे देश में शांति व्यवस्था बनी रहेगी।जफरउल्ला ने कहा कि दोनों समुदाय के आपसी समझौते के साथ ही दुर्गा पूजा और मोहर्रम को मनाया गया और दोनों समुदाय के लोगों ने इस मुल्क के बाशिंदों से आपसी भाईचारा के साथ हिन्दोस्तान की तरक्की के लिए कदम से कदम मिला कर चलने की अपील की।
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