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अमेठी में 'अधिकारियों के आशीर्वाद' से झोलाछाप डॉक्टर काट रहे 'चाँदी'


अलीम खान 
अमेठी:प्रदेश सरकार की नीतियां किस तरह से दम तोड़ रही हैं इसका जीता जागता उदाहरण अमेठी में चिकित्सकों की सरकारी स्तर पर कमी के रूप में सामने आ रहा है धरती पर पुनः रामराज्य लाने का दावा करने वाली योगी सरकार प्रदेश में सत्ता पर काबिज़ है इसके बाद भी वह अमेठी में चिकित्सकों की सरकारी स्तर पर कमी को पूरा नहीं कर पा रही है  इसका सीधा असर गरीब गुरबों पर पड़ रहा है जो निःशुल्क सरकारी इलाज के अभाव में चिकित्सकों की महंगी फीस देने पर मजबूर हो रहे हैं इतना ही नहीं सुदूर ग्रामीण अंचलों में जहाँ तत्काल चिकित्सकीय सहायता नहीं मिल पाती है वहाँ, झोला झाप चिकित्सक और ओझा के भरोसे ही रहने पर मजबूर हैं ग्रामीण
अमेठी जिले में भी झोला छाप चिकित्सकों की भरमार दिखायी देती है जहाँ-तहाँ बंगाली दवाखाना, विश्वास क्लीनिक या सिर्फ दवाखाना लिखकर ही बिना किसी वैध डिग्री के चिकित्सकों के द्वारा लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है जिले में अनेक मामले ऐसे भी प्रकाश में आ चुके हैं जिनमें लोगों का मर्ज बिगड़ा है और कई को तो जान से हाथ भी धोना पड़ा है।
दवा और दावा दोनो कर छोलाछाप डॉक्टर
देखा जाये तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का यह दायित्व है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में समय-समय पर टीम गठित कर झोला छाप चिकित्सकों पर दबिश देकर लोगों को इनके मकड़जाल से बचायें आश्चर्य तो तब होता है जब, ये झोला छाप चिकित्सक सीना ठोककर यह कहते हैं कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है,स्थानीय अधिकारी से लेकर जिले के उच्चाधिकारियों तक को साधे हुए हैं।

इनकी भी है जिम्मेदारी
दरअसल, यह पूरी की पूरी जवाबदेही चुने हुए सांसद-विधायकों की है सांसद-विधायकों को चाहिये कि वे हर एक उस मत (वोट) का सम्मान करें जिसके जरिये, वे विधानसभा या लोकसभा की सीढ़ियां चढ़-उतर रहे हैं। जनता ने उन्हें अपना भाग्य विधाता चुना है पाँच सालों के लिये इस लिहाज से विधानसभा या लोकसभा में वे अपनी आवाज बुलंद अवश्य करें विडम्बना ही कही जायेगी कि अति विशिष्ट जनपद अमेठी में आजादी के लगभग साढ़े छः दशकों बाद भी एक ट्रामा सेण्टर तक नही बन पाया ।

हमारी अपील
सांसदों, विधायकों, जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से अपेक्षा है कि जिले भर में कुकरमुत्ते के मानिंद फैले झोला छाप चिकित्सकों की मश्कें कसने के लिये निश्चित अंतराल पर छापामार कार्यवाही को अंजाम देते हुए सरकारी स्तर पर योग्य चिकित्सकों की पदस्थापना के प्रयास सुनिश्चित कर, लोगों को राहत देने का प्रयास अवश्य करें।

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