राकेश गिरी
बस्ती। प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां 16 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रही हैं उनकी मांग है कि उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए यह प्रदर्शन बस्ती जिले में ग्यारह दिनों से चल रहा है। लेकिन भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट की चर्चा करें तो प्रदेश के 27 जिलों के नौनिहाल कुपोषण की भेंट चढ़ चुके हैं ताजा रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गई है कि अगर यही हाल रहा तो आने वाला भविष्य न केवल ठिगना होगा बल्कि कई अन्य बीमारियां भी उन्हें चपेट में लिए रहेंगी आपको बता दें कि मंत्रालय ने जो रिपोर्ट दी है उसमें उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर आ गया है जबकि बिहार दूसरे नंबर पर है बिहार के 20 जिलों में कुपोषण चरम पर है।
मंत्रालय ने जिम्मेदार अधिकारियों को अपनी ओर से भेजे पत्र में साफ इंगित किया है कि बच्चों के लिए अल्पपोषण की एक पीढ़ी खौफनाक उत्तराधिकारी के रूप में हस्तांतरित हो रही जिससे उनके जीवन मे निराशा घर कर रही है। डाक्टरों की माने तो कुपोषण के मायने होते है शरीर के अनुरूप पर्याप्त शारीरिक विकास न होना एक स्तर के बाद खासकर 5 साल के नीचे के बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म होने लगती है जो उनकी मृत्यु का कारण बनती है। इससे निपटने के लिए विभाग ने टीकाकरण, ड्रिंकिंग वाटर और साफ-सफाई पर विशेष रुप से ध्यान देने की योजना बनाई है।
पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार सबसे पहले आंकड़ों में सर्वाधिक पिछड़े जिले को शामिल किया जाए और वहां सभी तरह के प्रयास किए जाएं जिससे कि कुपोषण की समस्या से निजात मिल सके उत्तर प्रदेश के आंकड़ों की अगर बात करें तो पूर्वांचल के सबसे ज्यादा जिले में कुपोषण व्याप्त है जिसमें बहराइच 65 दशमलव 1 की रैंकिंग के साथ एक नंबर पर है तो पूर्वांचल का ही जिला बस्ती सबसे निचले पायदान पर है जहां 48 दशमलव 9फीसदी का अनुपात है जिसमें यह चिंता व्यक्त की गई है की इन 27 जिलों में आने वाले दिनों में बच्चों की लंबाईयां कम होंगी वह पूर्ण स्वस्थ भी नहीं होंगे। अगर पूर्वांचल की बात करें तो बहराइच श्रावस्ती बलरामपुर सिद्धार्थनगर गोंडा महाराजगंज बाराबंकी संत कबीर नगर फैजाबाद मिर्जापुर कौशाम्बी जिलों में स्टनिंग यानी ठिगनेपन की समस्या है। जो कुपोषण की प्रमुख समस्या है। पश्चिम के जिलों की बात करें तो सीतापुर खीरी फतेहपुर चित्रकूट शाहजहांपुर बदायूं इटावा कांशीरामनगर पीलीभीत हरदोई कन्नौज फर्रुखाबाद अलीगढ़ जिलों में ठिगनेपन की समस्या पाई गई है। मंत्रालय द्वारा भेजे गए परिपत्र से बस्ती जिले के अधिकारियों की नींद उड़ गई है और सरकार द्वारा लागू कई योजनाओं को समेकित करते हुए लक्ष्य को जल्द से जल्द प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि अब तक जो कुछ भी संबंधित प्रयास किया गया क्या वह बेकार साबित हुआ।
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