मिथलेश शुक्ला(नीतू)
बभनान/गोंडा:इतिहास के जेहन में हजारों रहस्य दबे हुए रहस्यों का पता चलता है तो लोग आवाज उठते हैं। ऐसा ही एक मंदिर बभनान कस्बे में वर्षों से या यूं कहें सदियों से इतिहास के रहस्य में खोया हुआ था। धीरे-धीरे जब इसके दिव्यता और रहस्य से पर्दा उठा तो लोग भारी संख्या में यहां अपनी मन्नतें और मुरादों को मांगने के लिए आने लगे। मान्यता है यह मंदिर महाभारत काल का है। अज्ञातवास के दौरान यह मंदिर पांडु पुत्रों युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, व पांचाली द्वारा स्थापित कर मां की पूजा अर्चना की गई थी। शरदीय नवरात्र में भक्त आस्था के महासागर में गोते लगा रहे हैं। मंदिरों पर श्रद्धालु सुबह से ही मन्नतें मांगने के लिए कतार में लग जाते हैं। बभनान का श्री महागौरी मंदिर ऐसा ही मंदिर है। सर्वराकार विजय गुप्ता ने बताया कि यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है। विंध्याचल के राजा रघुराज प्रताप द्वारा मंदिर की स्थापना की गई। विंध्याचल की मां विंध्यवासिनी ने राजा को स्वप्न में आदेश दिया, यहां से उत्तर दिशा में जाओ, वहां पांडवों द्वारा मेरे सिद्ध पीठ की स्थापना अज्ञातवास के दौरान की गई थी वहां पुनः जाकर मेरे सिद्ध पीठ को स्थापित करो और मेरे सिद्धपीठ पर यज्ञ व विशाल भंडारे का आयोजन करो मनोकामना पूर्ण होगी। मां के आदेश पर हजारों वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण कराया गया। दोबारा मंदिर का जीणोद्धार जरवल के अठ्ईसा ग्राम निवासी रामसरन साहू द्वारा कराया गया इसके उपरांत उन्हीं के बंश के विजय गुप्ता वर्तमान भबनान निवासी जो इस समय मंदिर के सर्वराकार है द्वारा पुनः जीर्णोद्धार कराया गया। जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबा योगी आदित्यनाथ द्वारा मंदिर का उद्घाटन बड़े धूमधाम से किया गया। मंदिर के गर्भगृह के नीचे एक विशाल कुंआ है। कुंआ पर माता का आसन है। वैसे तो हर समय यहां श्रद्धालुओं का अना जाना लगा रहता है। नवरात्र के दिनों में अपार जन सैलाब उमड़ता है।
सर्वराकार व पुजारी विजय
विशेषता
सर्वराकार व पुजारी विजय जी कहते है कि यहां के लोगों का मानना है की विंध्यवासिनी देवी की छवि के साथ साथ यहां मां कामाख्या देवी की शक्ति भी विराजमान हैं। यहा आने वाले साधुओं संतों व स्थानीय लोगों की माने तो इस मंदिर का मूल कामाख्या देवी से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है की यदि यहां पर कोई भी कामाख्या देवी का नाम लेकर अपना कुछ भी मांग मुराद रखता है। तो अवश्य पूरी होती है। यहां आए दिन साधु संत अपने कार्य और परियोजना आते देखे जाते हैं और वह अपना कार्य सिद्ध होना भी बताते हैं। मंदिर पर हर नवरात्र के महीने में अष्टमी के दिन भगवती जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसकी पूर्णाहूति नवमी को होती है। दशमी को मंदिर पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।
मंदिर का रास्ता
जिला गोंडा से 60 व बस्ती मुख्यालय से लगभग 30 किमी पश्चिम स्थित मंदिर पर पहुंचने के लिए मुख्य साधन ट्रेन है, बभनान रेलवे स्टेशन स्टेशन से 500 मीटर दूर बाजार के दक्षिणी कोण पर स्थित है इसके अलावा प्राइवेट वाहनों के सहारे भी यहां पहुंचा जा सकता है।
श्रद्धालु राजेश अंगियार
श्रद्धालु राजेश अंधियार का कहना है की इस मंदिर से सच्चे मन से यदि कोई अपनी मुराद मांगता है तो एक बार उसके रास्ते से स्वयं काल भी पीछे हट जाएगा क्योंकि उनका कहना है कि वह इस घटना के स्वयं प्रत्यक्ष गवाह है और उनके साथ मां का आशीर्वाद था तभी वह इस समय जीवित है। दूर दूर से लोग आते हैं मैं उनकी मुरादें पूरी करती हैं यहां मां से मांगी हर मुरादें पूरी होती हैं
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