सगरा सुंदरपुर में आवास तथा वृक्षारोपण के पटटे की धोखाधड़ी बनी अफसरों के गले की फांस
लालगंज / प्रतापगढ़। बेशकीमती सरकारी जमीन का अपात्रों के नाम फर्जी पटटा का भांडा फूटने पर प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी एवं गबन का केस दर्ज तो करा दिया। किंतु आरोपियों मे से ज्यादातर सरकारी मुलाजिम होने के कारण पुलिस उन पर हाथ धरने से कतरा रही है। बतादें लक्ष्मणपुर विकासखण्ड के सगरा सुंदरपुर में आवास तथा वृक्षारोपण के नाम पर बड़ी संख्या मे अपात्रों को तहसील प्रशासन ने प्रधान की मिलीभगत से पटटा कर दिया। यहीं नहीं प्रशासनिक कर्मचारियों ने तत्कालीन एसडीएम जयनाथ के फर्जी हस्ताक्षर भी बनाकर पत्रावली दाखिल दफ्तर तक करा दी। इसकी जानकारी होने पर जब ग्रामीणों ने डीएम को शिकायती पत्र दिया तो पूरे मामले की सच्चाई सामने आते ही जिला प्रशासन के होश फाख्ता हो उठे। जिलाधिकारी के निर्देश पर शुरू हुई जांच के दौरान जब तत्कालीन एसडीएम जयनाथ ने लिखित तौर पर अपना बयान यह दर्ज कराया कि पत्रावली पर उनके हस्ताक्षर फर्जी है। तब डीएम का पारा चढ़ गया। डीएम ने फर्जी पटटे के आवंटन की फाइल सीज किये जाने के निर्देश देते हुये सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराये जाने के निर्देश दिये। डीएम के आदेश को भी तहसील प्रशासन ने काफी दिनों तक दबाये रखा किंतु ग्रामीणों के पुनः शिकायती पत्र पहुंचने के बाद डीएम ने तत्कालीन एसडीएम से स्पष्टीकरण भी तलब कर लिया। इसके बाद क्षेत्रीय लेखपाल रामदुलारे वर्मा ने कोतवाली मे तहरीर दी जिसके तहत तत्कालीन ग्रामप्रधान आशीष कुमार शुक्ल लेखपाल किशोर कुमार, राजस्व निरीक्षक रामखेलावन पाण्डेय, राजस्व निरीक्षक चंद्रकांत पाण्डेय तथा रजिस्ट्रार कानूनगो कुण्डा अमरनाथ के खिलाफ धोखाधड़ी एवं कागजातों मे हेरफेर का मुकदमा पुलिस ने दर्ज किया। सगरा सुंदरपुर नेशनल हाईवे से जुड़ी ग्रामसभा तो है ही यहां बड़ी बाजार भी है। लाखो की बेशकीमती सरकारी जमीन पटटे के नाम पर हेरफेर के मामले मे पुलिस सरकारी मुलाजिमों की गिरफ्तारी से क्ंयू बच रही है। इसे लेकर ग्रामीणों मे प्रशासन के खिलाफ आक्रोश भी पनप रहा है। इस बाबत उप जिलाधिकारी कोमल यादव का कहना है कि उन्हें अभी इस मामले की जानकारी नहीं हो सकी है। पत्रावली देखकर आरोपियों के खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित करायी जायेगी।
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