कौन किसको बदलता है
कौन किससे संभलता है।
कहने को तो हाथी इतना विशालकाय है।
चींटी उड़ाने को बार बार ज़मीन फूंकता है।
कौन किससे संभलता है।
कहने को तो हाथी इतना विशालकाय है।
चींटी उड़ाने को बार बार ज़मीन फूंकता है।
खरगोश भागता है बहुत तेज
घमंडी वो निरा बीच में सो जाता है
चलता रहता है कछुआ अपनी धीमी चाल
अंततः वही जीत जाता है।
घमंडी वो निरा बीच में सो जाता है
चलता रहता है कछुआ अपनी धीमी चाल
अंततः वही जीत जाता है।
देखा है शेरों को चिघ्घाड़ते हुए
फंसता है जब जाल में वो
तो जाल चूहा ही काटता है।
फंसता है जब जाल में वो
तो जाल चूहा ही काटता है।
नियति का खेल है
कोयला है कितना काला
पर इंजन वही चलाता है।
कोयला है कितना काला
पर इंजन वही चलाता है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ