Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

कौन किससे संभलता है


कौन किसको बदलता है
कौन किससे संभलता है।
कहने को तो हाथी इतना विशालकाय है।
चींटी उड़ाने को बार बार ज़मीन फूंकता है।
खरगोश भागता है बहुत तेज
घमंडी वो निरा बीच में सो जाता है
चलता रहता है कछुआ अपनी धीमी चाल
अंततः वही जीत जाता है।
देखा है शेरों को चिघ्घाड़ते हुए
फंसता है जब जाल में वो
तो जाल चूहा ही काटता है।
नियति का खेल है
कोयला है कितना काला
पर इंजन वही चलाता है।

Gargi Tripathi

Ghaziabad

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे