सत्येन्द्र खरे
मजहबी झगड़ो से दूर यूपी के कौशाम्बी जिले में एक गाव ऐसा भी है जहाँ के हिन्दू परिवार के लोग पूरी सिद्दत से मुहर्रम का पर्व मानते है |गाव का हर बासिन्दा पूरी इबादत से मुहर्रम में अपने परिवार के साथ ताज़ियादारी करता है । यह परंपरा पिछले 100 से अधिक सालो से गाव में कायम है | अमन और भाई-चारे की मिशाल कायम करने वाला यह अलीपुर जीता गाव धर्म के नाम पर मजहबी फसाद कराने वालो के मुँह पर करारा जवाब दे रहा है ।
कौशाम्बी के अलीपुरजीता गाव की तरफ जाने वाली सड़क इमामे हुसैन की सदाओं में डूबी है । इसी सड़क से होकर एक रास्ता हिन्दू मोहल्ले की तरफ भी जाता है, जहाँ नफरत और मजहब की दीवार दरवाजे पर पहुँचते ही दम तोड़ देती है । यह तस्वीर इस बात की गवाह है हिन्दू परिवार जिस तरह पूरी सिद्दत से अपने त्यौहार मनाता है उसी आदर और सत्कार से मुहर्रम में ताज़ियादारी भी करता है । यहाँ का हर बासिन्दा अपने परिवार साथ ताज़िया को सम्मान के साथ रख इबादत करता है ।
बताया जाता है कि इस गाव में अग्रेजी हुकूमत के समय खेतो में पानी ले जाने के जाने को लेकर झगडा हुआ था जिसमे हिन्दू परिवार के कई लोगो को अंग्रेज सरकार ने फ़ासी की सजा सुनाई थी | सजा मिलने के बाद लोगो ने मुहर्रम के समय यह दुआ मांगी की यदि अल्लाह फ़ासी की सजा टाल दे तो वह हर साल पूरी सिद्दत और परंपरा से अज़ादारी और ताजियादारी करेगे | दुआ कबूल हुयी और जिसका नतीजा है कि आज भी अलीपुर जीता गाव में हिन्दू परिवार के दर्जनों लोग मुहर्रम का पर्व पूरी सिद्दत से मानते है |
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