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सुल्तानपुर :हिन्दी के लिए सरकारों में इच्छा शक्ति की जरूरत है : सिंह






खुर्शीद खान 
सुलतानपुर। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमर नाथ सिंह ने आज हिन्दी दिवस के अवसर पर आज यहॉं कहा कि हिन्दी हिन्दुस्तान के स्वाभिमान की भाषा है किन्तु दुःखद है कि यह देश की राष्ट्र भाषा नहीं बन सकी। इसके लिए अब तक की सरकारें इच्छा शक्ति नहीं दिखा सकी। डिजिटल इण्डिया के बाद हिन्दी और संकुचित होती जा रही है, इसने हिन्दी को सबसे ज्यादा नुकशान पहुंचाया है। हिन्दी का नुकशान अंग्रेजी से उतना नहीं हुआ जितना नुकशान अंग्रेजियत से हुआ है।

सरस्वती विद्या मन्दिर में हुआ हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम

सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय विवेकानन्दनगर में आज हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि आजादी के बाद जब देश में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनना था तो अनुच्छेद दो की वजह से यह लागू नहीं हो सका। देश के कई राज्यों में इसका हिंसात्मक विरोध हुआ। जिसके बाद कोई सरकार हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए इच्छा शक्ति ही नहीं दिखा सकी और आज भी हिन्दी के प्रति लोगों में इच्छा शक्ति नहीं है। यह संस्कृत की ज्येष्ठ पुत्री है। संस्कृत को जर्मन ने सबसे उपयोगी माना और अपनी भाषा में रूपान्तरण कराया। उन्होने कहा कि महात्मा गांधी कहते थे हिन्दी ही देश की आत्मा को समझने के लिए एक मात्र भाषा है। हिन्दी का नुकशान अंग्रेजी से उतना नहीं हुआ जितना नुकशान अंग्रेजियत से हुआ है। आज हमारी संस्कृति, आचार-व्यवहार को खत्म कर दिया जा रहा है। मॉं और पिता मम्मी-पापा, मम्मा-डैड हो गये हैं। इससे हमारी संस्कृति और परम्पराओं में भयंकर गिरावट आ रही है। अपनी संस्कृति के गौरव को छोड़कर आगे बढ़ना कटी पतंग की तरह है। 
उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में डिजिटल इण्डिया के बाद हिन्दी और संकुचित होती जा रही है। संस्कृत सबसे सम्पन्न भाषा है। यह जिन्दा नहीं रही तो देश की स्वतंत्रता बरकार नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि हिन्दी मातृ भाषा है। इसे अपनी माता के समान सम्मान दें और बोलचाल में प्रभावी बनायें। इससे पहले छात्रा अंशिका तिवारी, श्यामली गुप्ता, विजेता पाण्डेय, साम्भवी मिश्रा वैभव मिश्र, आजाद विक्रम सिंह, प्रियांशु तिवारी, अखिल यादव, सौम्या, आचार्य रवीन्द्र तिवारी ने गीत और भाषण से हिन्दी का बखान किया। प्रधानाचार्य शेषमणि मिश्र ने अतिथि परिचय कराया। वरिष्ठ आचार्य राजेन्द्र दूबे ने अतिथि का बुके देकर स्वागत किया। संचालन वरिष्ठ आचार्य राज नारायण शर्मा ने किया। कार्यक्रम की तैयारियों में आचार्य रवीन्द्र तिवारी व आचार्या रंजना पाण्डेय का उल्लेखनीय योगदान रहा है।  

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