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एक गाव ऐसा भी , जहाँ राम और रहीम का होता है संगम देखिय वीडियो


सत्येन्द्र खरे 
यूपी  के कौशाम्बी जिले में एक गाव ऐसा भी है , जिसके बासिंदों ने एक छोटी सी पहल कर मजहबी दीवार को गिरा दिया है | गंगा यमुनी तहजीब को अपने अन्दर समेटे गाव का हर बासिन्दा एक ही आसमान के नीचे पहले एक साथ जिस जोश से माँ दुर्गा की आरती उतारते है , उसी जोश से गम-ए-हुसैन का मातम भी मनाते है |  

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यह कौशाम्बी का सालेपुर गाव | यूँ तो हर आम गाव की तरह यह गाव भी सामान्य सा दिखता है, लेकिन इस गाव के लोगो की सकारात्मक सोच ने इसे दूसरे गावो से अलग कर दिया है | इसकी सबसे बड़ी वजह है यहाँ के रहने वाले लोगो की एकता और भाई-चारा | जिसके चलते आज राम और रहीम के बन्दों ने एक साथ मिलकर शक्ति के देवी माँ दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया है | जहाँ सुबह और शाम माँ की आरती का शंख बजाते ही पूरा गाव एक साथ इक्कठा होता है | माँ शक्ति की आरती के समय क्या राम और क्या रहीम के मानने वाले सब माँ के ही रंग में रगे दिखाई पड़ते है | इतना ही नहीं देर रात माहे मोहर्रम में गम-ए-हुसैन के मातम शुरू होते ही राम और रहीम का भेद कर पाना किसी भी आदमी के लिए मुस्किल सा लगता है | यहाँ हिन्दू युवक नोहा पढ़ कर गम-ए-हुसैन का मातम करते है तो वही मुस्लिम युवक श्लोक बोलकर माँ भगवती का जयकारा लगाते है |  इसके पीछे गाव के युवाओ का कहना है कि वह धर्म और मजहब के नाम पर जहरीली होती सियासत को यह सन्देश देना चाहते है | जिसमे यह साफ़ है अब हम हिन्दू और मुसलमान के नाम पर नहीं बटने वाले है | 

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माहे मोहर्रम और भगवती की उपासना के इस पर्व को कौशाम्बी के सालेपुर गांव में रहने वाले राम-रहीम के बंदों ने सामाजिक सद्भाव का पर्व बना डाला है। गांव की मजार पर इबादत करने वाले हजरत मोहम्मद अजमल शाह की माने तो उनके गांव में अभी तक नवरात्र पर माँ भगवती का पंडाल नहीं सजाया जाता है। लोग अपने घरों में ही कलश स्थापित कर पूजा-पाठ करते थे। पिछले तीन सालो से उनकी पहल पर दोनों समुदायों के लोगों को पंडाल सजवाने के लिए प्रेरित किया। नतीजा रहा मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उम्मीद से ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। एक-एक कर दोनों समुदायों के लोग जुटे हुए और गांव में मातारानी का दरबार सज गया। अब दोनों धर्म के लोग सुबह-शाम मां के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। इसकी वजह से गांव में अमन की नई दास्तां लिखी जा रही है।गाव के मुखिया हजरत मोहम्मद अजमल शाह के मुताबिक इसके जरिये वह देश और प्रदेश के उन सियासत-दानो को पैगाम देना चाहते है जो महज वोट हासिल करने के लिए इंसान को इंसान का खून बहाने के लिए जहर की राजनीति कर रहे है | 

सालेपुर गांव में शक्ति की उपासना और गम-ए-हुसैन के मातम के बहाने तैयार हुई सामाजिक सद्भाव की इस नई इबारत की जिले भर में चर्चा है। गांव वालों ने ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम... को सबके सामने लाकर कर ''नए हिन्दुस्तान'' की अमन पसंद आबो-हवा में नफरत का जहर फैलाने वालों की सोच को भी आइना दिखा दिया है।
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