राकेश गिरी
बस्ती । जल प्रदूषण का संकट केवल सरकार के प्रयासों से दूर नहीं होगा। इसके लिये परम्परागत जल श्रोतों की रक्षा, संरक्षण में जन-जन के भागीदारी की आवश्यकता है। यह विचार सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्रनाथ तिवारी ने व्यक्त किया। वे शुक्रवार को आयल एण्ड नेचुरल गैस कारपोरेशन लिमिटेड एवं किसान सेवा संस्थान द्वारा कप्तानगंज विकास खण्ड के दुबौली दूबे गांव में आयोजित एक दिवसीय ब्लाक स्तरीय इको वाटर लिटेªसी एवं पेयजल विषयक गोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप मंें सम्बोधित कर रहे थे।
कहा कि बढते जन संख्या दबाव, जल श्रोतों पर अतिक्रमण, पोखरों, तालाबों, कूंओं के समाप्त होते जाने, हैण्डपम्पों को समुचित रूप से गहरा न गलाये जाने आदि के कारण जल प्रदूषण संकट के रूप में सामने आया है। सामाजिक जागरूकता के द्वारा ही इस पर नियंत्रण संभव है।
गोष्ठी को भावेष पाण्डेय, सत्येन्द्र सिंह ‘भोलू’, हरिशंकर त्रिपाठी आदि ने सम्बोधित करते हुये जल प्रदूषण के कारकों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
सामाजिक कार्यकर्ता पंकज त्रिपाठी ने कहा कि अशुद्ध जल के कारण ही अनेक जानलेवा बीमारियां पनप रही हैं। जल को शुद्ध करके ही गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके लिये बरसात के दिनों में हमें प्राकृतिक रूप से भी जल संरक्षण पर जोर देना होगा।
मास्टर टेªनर विशाल पाण्डेय ने किट के द्वारा ग्रामीणों को जल के शुद्धता की जांच प्रक्रिया की जानकारी दिया। कहा कि जल प्रदूषण के मानक की जानकारी सहजता से की जा सकती है।
गोष्ठी का संचालन करते हुये वृहस्पति पाण्डेय ने ग्रामीणों को शुद्ध जल के महत्व के बारे में विन्दुवार जानकारी दी। कहा कि भारतीय मनीषा में जल से ही उत्पत्ति और विनाश के अनेको प्रसंगों पर विद्वानों ने चर्चा की है। हमें इस दिशा में शुरूआत अपने घर से करनी होगी। आयोजक शुभम शुक्ल ने आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में मोहरा देवी महिला आजीविका केन्द्र के प्रशिक्षुओं को प्रमाण-पत्र देकर उत्साहवर्धन किया गया। साधना दूबे, सहदेव दूबे, अनिल दूबे, बुद्धिसागर दूबे, सुरेन्द्र कुमार, शीतला दूबे के साथ ही बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।
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