गाजे बाजे के साथ निकाली गई विसर्जन शोभायात्रा
अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर ।। जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में शरद नवरात्र के शुभ अवसर पर गत 9 दिनों से चल रहे दुर्गा पूजा महोत्सव का आज दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ समापन हो गया । जिले में 500 से अधिक स्थानों पर दुर्गा पूजा पंडाल बनाए जाते हैं जहां पर प्रतिमा स्थापित कर बिधि पूर्वक पूजन अर्चन किया जाता है । पंडालों में सायंकाल प्रवचन व जागरण का भी आयोजन होता है । क्वार मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि नवमी तक दुर्गा पूजा आयोजन होता है । तदोपरांत दशमी के दिन विजयदशमी पर्व मनाया जाता है और इसी दिन दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है । गत वर्षो की भांति इस वर्ष भी परंपरागत ढंग से दुर्गा पूजन आयोजित किया गया तथा विजयदशमी के दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया । जनपद मुख्यालय के प्रतिमाओं का विसर्जन राप्ती नदी पर किया गया ।
जानकारी के अनुसार जनपद बलरामपुर के सभी क्षेत्रों में दुर्गा पूजा महोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है । गत वर्षो की भांति इस वर्ष भी परंपरागत ढंग से दुर्गा पूजा महोत्सव मूर्ति विसर्जन के साथ संपन्न हुआ । आज दोपहर बाद जिले के सभी हिस्सों में मूर्ति विसर्जन कार्यक्रम आयोजित किया गया । जिले में स्थापित 500 से अधिक दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन आज विभिन्न जलाशयों या नदियों में शांतिपूर्ण ढंग से किया गया । विसर्जन के दौरान शांति बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन ने पुख्ता बंदोबस्त किए थे । हालांकि जनपद बलरामपुर के इतिहास में हमेशा से आपसी भाईचारा बनाए रखने का मिसाल कायम किया है । हिंदू त्योहारों में मुसलमान हिस्सेदारी निभाते हैं तो वहीं मुस्लिम त्योहारों में हिंदुओं की भी भागीदारी रहती है । शायद इसीलिए यहां की गंगा जमुनी तहजीब में किसी की नजर नहीं लग पाती । जिला मुख्यालय पर केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति द्वारा दुर्गा पूजा पंडालों की अच्छी व्यवस्था तथा साज सज्जा के लिए समितियों को सम्मानित भी किया गया । जिला मुख्यालय के सैकड़ों प्रतिमाएं वीर विनय चौराहे पर एकत्रित हुई जिन्हें जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र एसपी प्रमोद कुमार व दुर्गापूजा केंद्रीय समन्वय समिति के पदाधिकारियों ने हरी झंडी दिखाकर राप्ती नदी के लिए रवाना किया । जहां पर देर शाम तक प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया । विसर्जन शोभायात्रा विभिन्न पंडालों से वीर विनय चौराहे पर एकत्रित हुए और वही से नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए राप्ती नदी पर पहुंची जहां पर आरती व पूजन के उपरांत प्रतिमाओं को राप्ती नदी के जल में प्रवाहित कर दिया गया । किसी भी प्रकार की हानि से बचने के लिए नदी पर गोताखोरों को तैनात किया गया था साथ ही सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस व पीएसी के जवान चप्पे-चप्पे पर नजर रख रहे थे । शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु डीजे की धुन पर नाचते गाते विसर्जन स्थल तक पहुंचे । शोभायात्रा में बच्चे बूढ़े महिला-पुरुष सभी के उमंग देखते ही बनती थी । मां के जयकारों व मधुर गीतों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था ।
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