राकेश गिरी
बस्ती । वेद सृष्टि के प्रारम्भ से ही श्रुति के रूप में रहते हुए मानव को निरंतर प्रेरणा देने का कार्य करते रहे हैं जिससे मानव समष्टि के साथ अपनी अनुकूलता बनाते हुए प्रकृति को साधन के रूप में ग्रहण कर अपनी उन्नति के लिए प्रयत्नशील है। उक्त बातें यज्ञ ब्रह्मा आचार्य चन्द्रदेव जी ने आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा औद्योगिक क्षेत्र बस्ती में अथर्ववेद पारायण यज्ञ के दौरान याज्ञिकों को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि अथर्ववेद में विभिन्न प्रकार की औषधियों एवं उनके उपयोग का वर्णन है साथ ही विभिन्न प्रकार के रोगों और उनके निदान का भी वर्णन किया गया है। जिसके आधार पर हम अपने जीवन को अपने आस पास पायी जाने वाली जड़ी-बूटियों से सुरक्षित व संरक्षित रख सकते हैं। वेदपाठी विदुषी सुश्री माद्री आर्य ने बताया कि इस वेद में ब्रह्मचारियों को सेकेण्ड मिनट, घण्टा, दिवस, वर्ष, शताब्दी व सहस्राब्दि से आगे युग, चतुर्युगी व कल्पादि काल गणना के बारे में प्रारम्भ से ही शिक्षा देने की बात कही गयी है। पूरी सामाजिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए गृहसंगठन, ग्रामसंगठन, जिला संगठन, राष्ट्रसंगठन, अन्तर्राष्ट्रीय संगठन को बनाने व संचालन करने की शिक्षा दी गयी है जिससे सहायता लेकर हम अपने राष्ट्र को सुसंगठित कर सकते हैं। डा0 सन्ध्या ने बताया कि इस वेद में भिन्न भिन्न अपराधों के लिए अलग अलग दण्ड की भी व्यवस्था दी गयी है। यहाॅ तक कि शत्रुप्रेरित गुप्तचर स्त्री को अपने अनुकूल करने की विद्या भी इसके मंत्रों में बताई गयी है। शत्रुओं की चाल व उसे परास्त करने व दण्ड देने के तमाम विधियों का वर्णन किया गया है इसके अलावा विमानों द्वारा युद्ध व नील व लोहित रश्मियों द्वारा शत्रु पर विजय आदि का वर्णन किया गया है।
उन्होने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश का दुर्भाग्य है कि देश की शिक्षा में वेद की शिक्षाओं के गलत भाष्य को पढ़ाया जा रहा है जिससे हमारे विद्यार्थी वेदादि शास्त्रों से घृणा कर रहे हैं। यदि आज से भी हमारे विश्वविद्यालय में महर्षि दयानन्द जैसे ऋषियों के वेद भाष्य पढ़ाये जाय तो भारत विश्व गुरू बन सकता है। प्रधान ओम प्रकाश आर्य ने बताया कि दिनांक 27 सितम्बर को आचार्य स्वदेश जी कुलाधिपति गुरुकुल विश्वविद्यालय वृन्दावन इस महायज्ञ की पूर्णाहुति कर आर्य फूड इण्डस्ट्री का उद्घाटन करेंगे तथा आम जनमानस को सम्बोधित करेंगे। इस इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से यजमान रचित आर्य, ओम प्रकाश आर्य, डा0 वीरेन्द्र त्रिपाठी, केवल मान दूबे, सुभाष आर्य, नवल किशोर जी,हरेन्द्र श्रीवास्तव, अलख निरंजन आर्य, आनन्दस्वरूप आर्य, ओंकार आर्य, अर्चना, कंचन, रश्मि, रजनी आर्य, उमा, संजय सिंह, आदित्य नारायण, सत्येन्द्र वर्मा, रामरतन कामरेड, राजकिशोर शर्मा, हरिहर मिश्र, प्रवीण कुमार अग्रवाल, राधेश्याम आर्य, देवव्रत आर्य सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
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