राकेश गिरी
बस्ती :आज युवा रोजगार की तलाश में बड़े शहरो का रुख कर रहे है लेकिन गांव में भी आज ऐसी बहुत सी प्रतिभाएं छिपी है जो गांव में ही रहकर न सिर्फ रोजगार पैदा कर रहे हैं बल्कि पूरा का पूरा गांव उस रोजगार से जुड़ कर गांव में ही अपनी रोजी रोटी हासिल कर रहे हैं, हम बात कर रहे हैं छावनी थाना के केसवापुर गांव की जहां पर आज पूरा गांव सिरका बना कर अपीनी आजीविका चलाते हैं, और इन ग्रीमीणों की लगन और मेहनत की वजह से आज यहां का सिरका देश के कोने कोने से लेकर विदेशों तक लोग लेकर जाते हैं।
बस्ती शहर मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर एनएच 28 पर बसे इस गांव में सबसे पहले सिरके का व्यवसाय सभापती शुक्ल ने शुरू किया, सभापति शुक्ल पहले गन्ने से गुण बना कर बेचते थे लेकिन एक साल ज्यादा घाटा होने की वजह से गुण बनाने का व्यवसाय बंद होने के कगार पर पहुंच गया, सभापती की पत्नी से गन्ने का लगभग 50 लीटर सिरका बनाया, जिसको सभापति शुक्ला अपने दोस्तों में बांटना शुरू किया दोस्तों ने इन्हें सिरका वाला बाबा जी कहने लगे, पत्नी के कहने पर सभापती शुक्ला ने सिरके को बेचना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे सिरके की डिमाण्डे बढ़ने लगी,और सिरके का कारोबार ब्यापक पैमाने पर शुरू कर सिरका इंडस्टी में गांव को तब्दील कर दिया, सिरके की इतनी डिमाण्ड होने लगी की उस को पूरा करना मुश्किल हो रहा है, वहीं सिरके का यह व्यापार धीरे-धीरे पीरे गांव में फलने-फूलने लगा और आज नेशिनल हाइवे पर स्थित इस गांव में घर-घर सिरका बनता है और लोग दुकान पर इस को बेच कर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं, और अब यह गांव सिरके की इण्डस्ट्री में तबदील हो गया है और अब यहां से करोड़ों के सिरके का व्यापार हो रहा है।
आज पूरा गांव इस ब्यवसाय से जुड़ कर नयी इबारत लिख रहा है युवा वर्ग अब अपने गांव में ही रोजगार कर रहे है बिना किसी सरकारी मदद के भी इतनी बड़ी सिरका इंड्रस्टी गांव के लोगों ने अपनी मेहनत से खड़ा कर दिया है, गांव की महिलाये भी इसी ब्यापार में बराबर की हिस्सेदारी निभा रही है गन्ने के सीजन में जब सिरके बनाया जाता है तो आस पास के कई गांवों की महिलाओं को रोजगार मिल जाता है, प्रत्येक महिला को वेतन के रूप में 5 हजार रूपए दिए जाते हैं, इस के अलावा धीरे-धीरे यहां के लोगों ने अचार बनाने का भी काम शुरू कर दिया है, गांव वालों की मेहनत की वजह से आज केसवापुर गांव सिरके और अचार के लिए मशहूर है, आज नेश्नल हाइवे से गुजरने वाली बहुत सी गाड़ियां यहां रूकती है और लोग यहां से अचार और सिरका लेकर जाते हैं
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