राकेश गिरी
बस्ती । प्रयाग महिला विद्यापीठ की संस्थापिका, प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा को उनके 30 वें पुण्य तिथि पर याद किया गया। गौतम बुद्ध मुराली देवी बालिका इण्टर कालेज गोटवा में आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कहा कि यह सौभाग्य है कि उन्हें ‘जगमग’ उप नाम महादेवी वर्मा जी ने दिया था। ‘मैं नीर भरी दुःख की बदली’ उमड़ी कल थी, मिट आज चली’ जैसे अनेक प्रतिष्ठित गीतों की रचनाकर महादेवी जी का पद्य के साथ ही गद्य पर भी समान अधिकार था।
साहित्यकार एवं चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि महादेवी वर्मा का रचना संसार मानवीय संवेदनाओं में रचा बसा है, उन्होने गिलहरी तक की भावनाओं को शव्द दिया। सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, सुमित्रानन्द पंत के साथ ही अपने समय के समकालीन रचनाकारों में उनकी श्रेष्ठता थी। उनका स्मरण संवेदनाओं के सागर से गुजरना है।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि वर्मा जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन नारी शिक्षा, नव जागरण को समर्पित किया। कवि लालमणि प्रसाद ने कहा कि महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य की उज्जवल नक्षत्र हैं। कार्यक्रम में , डा. आलोक रंजन, डा. मनोज मिश्र, डा. नरेन्द्र चौधरी, अमरेश चौधरी, विजय मौर्या, रमेन्द्र त्रिपाठी, प्रवीन त्रिपाठी, डा. अजय श्रीवास्तव, जय प्रकाश गोस्वामी, डा. राजेश चौधरी, जगदम्बा प्रसाद भावुक, राजेश पाण्डेय, सविता श्रीवास्तव, अनुराधा पाण्डेय, शालिनी आदि उपस्थित रहे।
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