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राम रहीम के पालतू गुंडों के तांडव से कानून व्यवस्था हुई तार तार ,सहमे शहर के लोग ,सरकार की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल !



हरियाणा:शुक्रवार की शाम को जैसे ही पंचकुला कोर्ट ने राम रहीम पर फैसला सुनाया ,वैसे ही उनके पालतू गुंडों का सुनियोजित उत्पात शुरू हो गया ! जम कर तोड़ फोड़ हुयी  और हरियाणा सरकार के दावे की कलाइयों को खोल कर रख दिया ! 
जिस  तरह  से तांडव मचाया गया और   ३२ से ज्यादा लोगो की जान चली गयी,लगभग ४०० से ज्यादा लोग घायल हुए! वाहनों को आग के हवाले करके मीडिया कर्मियों को भी जमकर पीटा गया ,सुरक्षा कर्मियों ने भाग कर अपनी जान बचायी ,यह निश्चित तौर पर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है ! तीन दिन पहले से जिस तरह से तथाकथित अनुयायी पंचकुला में जुटने लगे थे और वो भी पेट्रोल बम और हथियारों के जखीरों के साथ ,उनको सरकार ने चुपचाप आने दिया और कोई सख्ती नहीं दिखाई ! सरकार उनके मंसूबो को भांप पाने में नाकामयाब रही और हुआ वही जिसका डर था ,सरकार के सारे इंतजामात धरे के धरे रह गये !

आखिर सरकार क्या समझती  थी ,की जो भीड़ यहाँ हजारो की संख्या में इकट्ठा हो रही वह राम रहीम के खिलाफ फैसला आने पर चुपचाप वापस चली जाएगी ! यही सरकार की नाकामयाबी रही ,दरअसल जो भीड़ पंचकुला में आयातित की गई थी ,वह पूरे प्लानिंग के साथ कानून व्यवथा का हवाला देकर  फैसले को प्रभावित करने के उद्देश्य लाई गयी थी ! और फैसला खिलाफ में आने के बाद योजना बद्ध तरीके से बाबा की ताकत को दिखाने के लिए खून की प्यासी हो गई ,और शुरू हो गया रक्तपात !

 हजारो की संख्या में लोग आखिर बिना किसी पूर्व योजना के इकट्ठा कैसे हो गए, क्या सोशल मीडिया ,वाट्सप आदि के माध्यम से तो इनको आहुत नहीं किया गया था यदि हा तो सरकार इस पर क्या कर रही थी और उसकी इंटेलिजेंस एजेंसिया कहा सोने चली गयी थी ! इनको समय रहते क्यों रोकने की कोशिश नहीं की गयी !

सरकार ने पूर्ववत घटनाओ से भी कोई सबक नहीं सीखा ,जब रामपाल जैसे बाबाओ ने पुरे सरकारी सिस्टम को चुनौती देकर उसे बंधक बनाये रखा ! ये सब सवाल अवाम के जेहन में है जिसका जबाब राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को देने पड़ेंगे ! 
क्या हमारा सरकारी तंत्र इतना कमजोर हो चुका है कि वह देश के अंदरूनी हालात से भी निबटने में सक्षम नहीं है ,क्या खुफिया एजेंसिया उस इकठ्टा हो रही भीड़ के इरादों को समझ नहीं पायी ,और यदि हाँ तो चीन और पाकिस्तान जैसे शातिर विदेशी ताकतों से सरकार कैसे निबट पायेगी ,यह निश्चित तौर पर एक सवाल है जिस पर पर्दा डालने के बजाय  सरकार को जबाब  देना चाहिए 
 

संतोष तिवारी 
जर्नलिस्ट बड़ौदा गुजरात 

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