अमरजीत सिंह
फैजाबाद: हर माता-पिता की यह ख्वाहिश होती है कि उसके कम से कम एक बेटी और एक बेटा जरूर हो जिससे पढ़ा लिखा कर बेटी की डोली को विदा करें कन्यादान करें और अपने बेटे के लिए भी दुल्हनिया लाये लेकिन जरा सोचिए कि यदि कोई बेटी से विवाह करने से कतराए या उसके घर कोई अपनी बेटी भेजने को तैयार ना हो तो ऐसे मां बाप के ऊपर क्या बीतता होगा इसका अंदाजा आप स्वंय लगा सकते हैं हम बात कर रहे हैं सरयू व घाघरा नदियों की कछार पर बसे बाढ़ प्रभावित गांवो की यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित होकर खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर हैं इस गांव के लोग अपने रिश्तेदारों से जुगाड़ लगा कर अपने बेटी व बेटा की शादी करते हैं क्योंकि बाढ़ के कहर से हर वर्ष बसना और उजड़ा इनकी किस्मत बन गई है तहसील रुदौली के बाढ़ प्रभावित गांव कैथी - नूरगंज सराय नासिर -पास्ता व महंगू का पुरवा आजादी के 70 साल बाद भी मूलभूत सुविधा जैसें सड़क बिजली-पानी आवास व शिक्षा आदि से वंचित हैं इस क्षेत्र के लोग नदी से सटे गांव में अपनी लड़कियों का ब्याह करने से कतराते हैं परिजन अपनी बेटी और बहन को घर बैठा कर रखना बेहतर समझते हैं लेकिन इन गांवो से बेटी बेटी बेटो का रिश्ता नहीं करना चाहते दरअसल रुदौली तहसील क्षेत्र के यह गांव हर वर्ष बाढ़ की चपेट में रहते हैं इसकी वजह से कोई अपनी बेटी का ब्याह इनके यहां नहीं करना चाहता हाल तो यह है यहां अब दुल्हन की डोली बड़े जुगाड़ लगाने के बाद ही आती है साल-दर-साल कुंवारे लड़कों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है रिश्तेदारों से जुगाड़ लगाने के बाद यहां से बैंड बाजे के साथ बारात जाने का मौका मिलता है बाढ़ के कहर की वजह से महंगू का पुरवा गांव में कुछ कुआरो के ब्याह करने के अरमान पर पानी फिर रहा है रुदौली क्षेत्र के बाद प्रभावित करीब आधा दर्जन गांव ऐसे है जहां शादियों का ग्राफ साल दर साल कम हो रहा है विगत वर्ष में यहां किसी कुँआरे के सिर पर विवाह का मोर नहीं बंधा घर के बड़े-बूढ़े लड़कियों के तो संबंध तय कर आते है पर कोई अपनी लड़की का संबंध में जोड़ने नहीं आता
तहसील क्षेत्र का महंगू पुरवा गांव ऐसा है जो बाढ़ के कारण हर साल तबाह होता है बाढ़ के कारण उजड़ना और बसना उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया है मंहगू पूरवा गांव के ग्रामीण सरन यादव नानक ननकू राम नयन व हनुमान बताते हैं की कटान और बाढ़ के करण लोग बेटी का रिश्ता लेकर नहीं आते हैं बाढ़ के दौरान नाते रिश्तेदारों से सम्पर्क कट जाता है जमा पूंजी को भी बाढ़ नुकसान पहुंचाती है इससे लोग बैटी ब्यहने से डरते हैं इन लोगों ने बताया कि बिजली का आलम यह है कि बिजली के खंभे लगे हैं कनेक्शन भी दिए गए लेकिन बिजली कब आए कब जाए कोई ठिकाना नहीं है
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ