जब तक जनता बैठी रहेगी बाबाओ की झोली मे ।
निर्दोषों का रक्त बहेगा सेनाओ की गोली से ।।
कभी आशाराम तो कभी रामपाल पाखंडी था ।
सत्ता से जन्मा रामवृक्ष बहुत घमंडी था।।
जिसने अबलाओको नौचा अपने नाखूनो से ।
कई साल खेल है खेला भारत के कानूनो से ।।
लगा आरोप उस पर तो उसने भविष्य अपना पहचाना था ।
भारत का अंधा है कानून तब उसने पहचाना था ।।
फिर क्या था वो लगा देना हिंसा का आधार ।
सत्ता के लोगा का भी उमडा उसपर प्यार ।।
पंचकूला मे जाकर बैठे भक्त गूडागर्दी करने को ।
पत्रकार भी पहुच गये थे अपनी मौत मरने को ।।
हिंसा भडक रही थी वहा पर खट्टर तब भी मौन रहे ।
मोदी राज है भाईया उनकी कमी कौन कहे ।।
राम रहीम को जब कोट ने दोषी करार दिया ।
उसके भक्तो ने सडको पर नरसंहार किया ।।
पत्रकारो के थे जले वहा पर वाहन।
सेना भी करने लगी गोँली चलाने का आवाहन ।
खट्टर को जब फोन किया कि तूम घटना पर जाओ ।
जाकर मासूमो की लाशो पर राजनीति कर आओ ।।
गर बाबा को जब ही फासी चढा दिया होता ।
जो भक्त भी आता आगे उसको जेल मे डाल दिया हो ।।
सच कहता हूँ कोई घटना न होती ।
और किसी के आगे मानवता न रोती ।
बाबाओ से कहता हूँ मे बन्द करो पाखंडो को ।
खाकी से भी कहता हूँ तैयार करो अपने डन्डो को ।।
बाबा बनना है आसान नही देखो भीमराव को तूम ।
संविधान से चलते देखो शहर गाव को तूम ।।
महात्मा बनकर जीवन देखो गाधी को।
देश हित के खातिर झेलो खूनी आधी को ।
देश की सेवा करनी है तो भगत सिह बन जाओ ।
देश के खातिर तूम भी फासी चढ जाओ ।।
Ashmani Vishnoi
नासमझ लेखक
स्योहारा बिजनौर
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