मौत तुमसे मैं लड़ूँगा
जिन्दगी अधिकार मेरा।
जिन्दगी से रोशनी है
मौत तो तम है घनेरा।।
जिन्दगी है हर्ष-उत्सव
मौत नीरव शान्ति है।
जन्म के विपरीत है यह
शोक केवल भ्रान्ति है।।
मृत्यु है पर्याय भय का
अन्त यह अज्ञात है।
जीत न तो है सफलता
शह नहीं है मात है।।
जन्म के पहले कहाँ थे
भेद कोई भी न जाने।
मृत्यु के पश्चात क्या है
मौत के अनगिन बहाने।।
तन हमारा मन हमारा
डोर किसके हाथ है।
दिख रहे हैं हम अकेले
पर कोई तो साथ है ।।
है नहीं स्वीकार मुझको
विन लड़े तुमसे पराजय।
जो करे संघर्ष दु:ख से
'रत्न' वह विजयी-अजय।।
Daya Ram Maurya Ratna
प्रतापगढ़ (उ०प्र०)
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