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कौशल विकास मिशन से रोजगार मुहैया कराने के बजाय खुद की जेब भर रहे अफसर


सतेन्द्र खरे 
कौशाम्बी :जिन संस्थानों को कौशल विकास मिशन चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी, वही पलीता लगा रहे हैं। इन संस्थाओं और कौशल विकास मिशन के अफसरों की लापरवाही से जिले के युवा प्रशिक्षित नहीं हो पाए हैं।  डीएम ने कौशल विकास मिशन के प्रगति की समीक्षा के दौरान ई-विलेज लिमिटेड और कंसलिं्टग प्राइवेट लिमिटेट को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। खराब प्रगति पाए जाने पर कई संस्थाओं के खिलाफ चेतावनी दी है। वहीं मिशन के अफसरों से कहा कि योजना के तहत काम नहीं हुआ तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट कार्यालय में कौशल विकास मिशन के कार्यों की समीक्षा बैठक हुई। बैठक में जिलाधिकारी ने नए प्रशिक्षण बैचों के निर्माण में शिथिलता बरतने पर सभी प्रशिक्षण प्रदाताओं को एक सप्ताह में प्रगति सुधार कर लक्ष्य की पूर्ति करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा इस योजना के जरिए युवकों को रोजगार देना था। इसमें धीमी प्रगति क्षम्य नहीं है। समीक्षा के दौरान पता चला कि जिन संस्थाओं को युवाओं को ट्रेंड करने की जिम्मेदारी दी गई हैं। वह कागज पर काम काम रही हैं। वह सरकार से पैसा ले रही हैं लेकिन इससे बेरोजगार युवाओं को कोई मदद नहीं मिल रही है। ऐसे में डीएम में सहज ई-विलेज लिमिटेड और कंसलिं्टग प्राइवेट लिमिटेट के अलावा एआइआइईसीटी प्रशिक्षण प्रदाताओं को ब्लैड लिस्टेड कर दिया है। मिशन निदेशक से कहा कि काम न करने वालों संस्थाओं को बाहर किया जाएगा। उन्होंने सभी राजकीय आइटीआइ एवं पालीटेक्निक के प्रधानाचार्यो को निर्देशित किया कि दो सप्ताह के भीतर न्यूनतम 300 लाभार्थियों को प्रशिक्षण बैच में सम्मिलित करें। जिस किसी संस्था को और अधिक लक्ष्य की आवश्यकता है वह यथाशीघ्र प्रस्ताव कौशल विकास मिशन को करें। उन्होंने प्रत्येक माह रोजगार मेला आयोजित करके अधिक से अधिक प्रशिक्षित लाभार्थियों को रोजगार अथवा स्वरोजगार में नियोजित कराने का निर्देश दिया। बैठक में कौशल विकास मिशन के अमित सिंह, दिब्यांग कल्याण जन अधिकारी राजेश सोनकर आदि थे।

अधिकारी खुद चला रहे सेंटर


 कौशल विकास मिशन के तहत युवाओं को ट्रेंड करके रोजगार दिलाने काम था। लेकिन इस अफसर युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के बजाय खुद की जेब भरने में लग गए हैं। जिले में तैनात अफसर खुद ही कई सेंटर चला रहे हैं। वह एक सेंटर पत्नी के नाम से दिखाने के चला रहे हैं तो बाकी कागज पर ही हैं। कागज पर चल रहे सेंटरों की पेमेंट खुद हजम कर रहे हैं। यह खेल अफसरों की मिलीभगत से लंबे समय चल रहा हैं। दूसरी ओर जिले भर में सेंटर अधिकारी के वसूली के चलते ठप हो गए हैं। अन्य सेंटर संचालकों का आरोप है अधिकारी के चलते पुरानी पेमेंट भी नहीं दी गई है।

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