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मैदानी इलाके के किसान ने अपने खेत में पैदा किया अमेरिकन केसर



सतेन्द्र खरे 
यूपी के कौशाम्बी जिले में एक किसान को परंपरागत खेती से हटकर आर्टिफीसियल केसर की खेती करना मुसीबत का कारण बन गया है | किसान का कहना है कि उसने पहली बार एक बीघे में अमेरिकन केसर यानि कुसुम की खेती की , लेकिन कम जानकारी होने के कारण वह उसके फूलो से कोई फायदा नहीं ले सका | अब उसके पास 7 कुन्तल अमेरिकन केसर के बीज पैदा हुआ है जिसको बेचने के लिए उसे महीनो से उद्यान विभाग के अधिकारिओ के चक्कर लगाना पड़ रहा है | हालाकि विभाग के अधिकारी का कहना है कि उन्होंने बड़ी मुस्किल से इस बार किसान के बीजो के लिए बाजार मुहैया करा दिया है अगली बार से वह खुद दूसरे किसानो को प्रेरित करेगे कि वह भी अमेरिकन केसर की खेती कर अपनी आय बढ़ा सके | 

जिला मुख्यालय मंझनपुर से 8 किलोमीटर दूर थांभा गाव में रहने वाले शिव प्रताप नाम के किसान ने मैदानी इलाके के कुसुम यानी अमेरिकन केसर की खेती करके दूसरे मैदानी इलाके के किसानो के लिए मिशाल पेश की है | बताया जाता है कि अमेरिकन केसर की खेती ठन्डे प्रदेशो में बहुतायत में बेहद आसानी से की जाती है | जिसको पैदा कर किसान दिन-दो-गुनी , रात चौगनी आमदनी कमाते है | ठन्डे प्रदेशो की खेती के मिथक को तोड़ते हुए मैदानी इलाके के किसान शिव प्रताप ने अमेरिकन केसर की खेती को प्रयोग के तौर पर पहली बार बेहद छोटे से खेत के टुकडे में किया और उससे बीज लेकर एक बीघे में खेती की | 5 महीने की मेहनत के बाद शिव प्रताप ने अमेरिकन केसर की खेती से 7 कुंतल बीज पैदा किया | अच्छी पैदावार होने के बाद किसान शिव प्रताप ने बीज को बेचने के लिए बाज़ार की तलास की, लेकिन वह पिछले 4 महीने से कृषि . उद्यान और खुले बाज़ार के चक्कर लगा रहा है लेकिन उसकी फसल को कोई पूछने वाला नहीं मिल रहा है | ऐसे में किसान शिव प्रताप को अब यह समझ नहीं आ रहा है कि उसने अमेरिकन केसर की खेती को मैदानी इलाके में पैदा कर अपने लिए उन्नति के रास्ते खोले है या फिर मुसीबत का पहाड़ अपने घर लाया है | 

 

शिव प्रताप ने मैदानी इलाके में कुसुम यानी अमेरिकन केसर की पैदावार करने के बाद भी मुफलिसी का दंश झेलने को मजबूर है | वह रोज अपनी फसल का नमूना लेकर कृषि और उद्यान विभाग के दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है | 


क्या कहते है उद्यान अधिकारी 

किसान शिव प्रताप की हालत पर जब हमने उद्यान अधिकारी मेवा राम से सवाल किया तो उन्होंने किसान शिव प्रताप की खेती को एक अभिनव प्रयोग बताया , साथ ही उन्होंने दावा किया कि विभाग के प्रयास से किसान शिव प्रताप का बीज बेचने का इंतजाम कर दिया गया है | इसके साथ ही वह विभाग की मदद से अगली फसल के समय कौशाम्बी के दूसरे किसानो को भी प्रेरित करेगे ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इससे लाभ कमा सके | इसके अलावा किसानो के फसल के फूल और बीज को बेचने के लिए दूसरे प्रदेशो के व्यापारियों से भी संपर्क किया जा रहा है |

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