Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

आज अमृत योग में गणेश चतुर्थी,जानिए आज क्या नहीं देखना है , क्या है पूजन विधि


अमृत योग - 25 अगस्त 2017 - प्रातः 06:06 से रात्रि 08:32 तक
रवि योग - 25 अगस्त 2017 - प्रातः 06:06 से दोपहर 02:35 तक
*25 अगस्त 2017 को मनाई जाएगी महागणपति चतुर्थी एवं कलंक चतुर्थी

भगवान विनायक के जन्मदिवस पर मनाया जानेवाला यह महापर्व महाराष्ट्र सहित भारत के सभी राज्यों में हर्षोल्लास पूर्वक और भव्य तरीके से आयोजित किया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 25 अगस्त के दिन मनाया जाएगा।
 रात्रि 09 बजकर 18 मिनट तक चन्द्रदर्शन नहीं करे क्योंकि इस दिन कलंकचौथ है, मान्यता के अनुसार जो भी इस दिन चंद्र का दर्शन करता है, उस पर कोई न कोई कलंक अवश्य लगता है।
गणेश पूजन का समय :- भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी दिनाङ्क 25 अगस्त 2017 को चतुर्थी तिथि रात्रि 08:31 तक रहेगी। अत: 25 अगस्त को चतुर्थी चन्द्रोदव्यापिनी होने से महागणपति चतुर्थी (गणेशचौथ) इसी दिन मनायी जाएगी। गणेश पूजन का श्रेष्ठ समय - चर का चौघडिय़ा प्रात: 06:05 से प्रात: 07:42 तक रहेगा। लाभ का चौघडिय़ा प्रात: 07:42 से प्रात: 09:17 तक, अमृत का चौघडिय़ा प्रात: 09:17 से प्रात: 10:53 तक, शुभ का चौघडिय़ा दोपहर 12:28 से दोपहर 02:04 तक, चर का चौघडिय़ा सायं 05:15 से सायं 06:51 तक तथा अभिजित दोपहर 12:05 से दोपहर 12:53 तक रहेगा।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि :- नारद पुराण के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को विनायक व्रत करना चाहिए। यह व्रत करने कुछ प्रमुख नियम निम्न हैं
इस व्रत में आवाहन, प्रतिष्ठापन, आसन समर्पण, दीप दर्शन आदि द्वारा गणेश पूजन करना चाहिए।
पूजा में दूर्वा अवश्य शामिल करें।
गणेश जी के विभिन्न नामों से उनकी आराधना करनी चाहिए।
नैवेद्य के रूप में पांच लड्डू रखें।
इस दिन रात के समय चन्द्रमा की तरफ नहीं देखना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि इसे देखने पर झूठे आरोप झेलने पड़ते हैं।
अगर रात के समय चन्द्रमा दिख जाए तो उसकी शांति के लिए पूजा करानी चाहिए।
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल चतुर्थी को हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। गणेश पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी दिन समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करने वाले, कृपा के सागर तथा भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी का आविर्भाव हुआ था।

गणेश चतुर्थी की कथा
कथानुसार एक बार मां पार्वती स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसका नाम गणेश रखा। फिर उसे अपना द्वारपाल बना कर दरवाजे पर पहरा देने का आदेश देकर स्नान करने चली गई। थोड़ी देर बाद भगवान शिव आए और द्वार के अन्दर प्रवेश करना चाहा तो गणेश ने उन्हें अन्दर जाने से रोक दिया। इसपर भगवान शिव क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेश के सिर को काट दिया और द्वार के अन्दर चले गए। जब मां पार्वती ने पुत्र गणेश जी का कटा हुआ सिर देखा तो अत्यंत क्रोधित हो गई। तब ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवताओं ने उनकी स्तुति कर उनको शांत किया और भोलेनाथ से बालक गणेश को जिंदा करने का अनुरोध किया। महामृत्युंजय रुद्र उनके अनुरोध को स्वीकारते हुए एक गज के कटे हुए मस्तक को श्री गणेश के धड़ से जोड़ कर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि
इस महापर्व पर लोग प्रातः काल उठकर सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार विधि से उनका पूजन करते हैं। पूजन के पश्चात् नीची नज़र से चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मणों को दक्षिणा देते हैं। इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान है। मान्यता के अनुसार इन दिन चंद्रमा की तरफ नही देखना चाहिए।
अंगारकी चतुर्थी पूजन
गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूज्य एवं विध्न विनाशक है. श्री गणेश जी बुद्धि के देवता है, इनका उपवास रखने से मनोकामना की पूर्ति के साथ साथ बुद्धि का विकास व कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है. श्री गणेश को चतुर्थी तिथि बेहद प्रिय है, व्रत करने वाले व्यक्ति को इस तिथि के दिन प्रात: काल में ही स्नान व अन्य क्रियाओं से निवृत होना चाहिए. इसके पश्चात उपवास का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प लेने के लिये हाथ में जल व दूर्वा लेकर गणपति का ध्यान करते हुए, संकल्प में यह मंत्र बोलना चाहिए "मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायक पूजनमहं करिष्ये"
इसके पश्चात सोने या तांबे या मिट्टी से बनी प्रतिमा चाहिए. इस प्रतिमा को कलश में जल भरकर, कलश के मुँह पर कोरा कपडा बांधकर, इसके ऊपर प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. पूरा दिन निराहार रहते हैं. संध्या समय में पूरे विधि-विधान से गणेश जी की पूजा की जाती है. रात्रि में चन्द्रमा के उदय होने पर उन्हें अर्ध्य दिया जाता है.
Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे