कहा गया है कि बदलते मौसम और बदलते लोग बहुत कष्ट देते है। इसी बदलते मौसम में हमे कष्ट देने आ जाता है वाइरल बुखार। ये बड़ो को ही नही बच्चो को भी अपने चपेट में ले लेता है। तेजी से बदलते मौसम में जब हमारे शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता कम हो जाती है तो हम वायरल फीवर की चपेट में आ जाते है। ऐसा अक्सर ऋतु संधियो के मौसम में होता है जब एक ऋतु समाप्त हो रही होती है और दूसरी ऋतु आने वाली होती है। वायरल बुखार हो या अन्य कोई संक्रमण हमारे शरीर पर तब तक प्रभाव नही डाल पाता है जब तक हमारे शरीर की बिमारियों से लड़ने की क्षमता यानी इम्यून सिस्टम मजबूत रहती है।
लक्षण इस समय वायरल बुखार का दौर चल रहा है इसमें बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी वायरल बुखार का इन्फेक्शन हो सकता है । हर व्यक्तियों में प्रतिरक्षण क्षमता के अनुसार इसके लक्षण भिन्न हो सकते है।इसके कुछ खास लक्षण निम्न है
- आंखों का लाल होना
- 100 - 103 फारेनहाइट तक तेज जाड़ा लग कर बुखार होना ।
- बुखार इससे ज्यादा भी हो सकता है।
- जोड़ों में व बदन में दर्द ।
- थकावट खांसी जुखाम और बार - बार छींकों का आना ।
- भूख ना लगना ।
- लेटने के बाद उठने पर कमजोरी महसूस होना।
- सिरदर्द दर्द आदि-आदि मुख्य लक्षण हैं।
बचाव
चूंकि यह बुखार वायरस के ड्रॉपलेट्स इंफेक्शन से होता है। अर्थात छींकने खासनें से सामने वाले व्यक्ति में इसका इंफेक्शन हो जाता है अतः स्वच्छता पर विशेष ध्यान देंना चाहिए , गर्म पानी और साबुन से हाथ धोएं , छींकने ,खांसने, हाथ मिलाने , संक्रमित व्यक्ति के तौली , रुमाल आदि के प्रयोग करने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। इसलिए बेहतर यह होगा कि जिस व्यक्ति को वायरल फीवर है वह व्यक्ति छींकते, खांसते समय अपने मुंह के सामने तौली रुमाल ,टिश्यू पेपर या मास्क का प्रयोग करें , साथ ही नाक मुँह पोंछकर टिशू पेपर को इधर-उधर फेंकने के बजाय कहीं किसी गड्ढे में दबा दें या जला दें। संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से दूर रहें , प्रणाम की परंपरा को अमल में लाएं।
उपचार
सर्वप्रथम बुखार को उतारने का प्रयास करना चाहिए।इसके लिए माथे पर ताजे पानी की पट्टी रखनी चाहिए व ताजे पानी मे तौली को भिगो कर पूरे शरीर को तब तक पोछना चलिए जब तक तापमान कम न हो जाये। फिर भी यदि बुखार कम ना हो तो पैरासीटामाल, एस्प्रिन की गोली का प्रयोग करना चाहिए । अच्छे पोषक तत्व और मल्टी विटामिन का प्रयोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए करना चाहिए।।
जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि यह वायरल बुखार है अतः इस में एंटीबायोटिक का कोई रोल नहीं है फिर भी सेकेंडरी इंफेक्शन होने लगे तो योग्य चिकित्सक की देखरेख में एंटीबायोटिक का भी प्रयोग करना चाहिए।
घरेलू उपचार
जैसा कि ऊपर बताया गया है की वायरल बुखार प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने से होता है ,अतः वायरल बुखार होने पर ऐसी चीजों का प्रयोग करें जिससे हमारी इम्यूनिटी मजबूत रहे । इसके लिए आयुर्वेद और हर्बल प्रोडक्ट्स का प्रयोग करना चाहिए :-
धनिया की चाय:- एक गिलास पानी में एक चम्मच धनिया डालकर उसको उबालें उसके पश्चात थोड़ा दूध और चीनी मिलाकर चाय की तरह पियें।
तुलसी के पत्ते का काढ़ा
एक लीटर पानी मे 15-20 तुलसी का पत्ता, जवारंकुश की 4-5 पत्ती, 10 काली मिर्च , 5 लौंग, 2 छोटी इलायची अदरख या सोंठ, सेंधा नमक एक छोटा चम्मच,चीनी 4 चम्मच डाल कर धीमी आंच पर उबाले, आधा रहने पर छान कर 2,-2 घंटे पर चाय की तरह पियें।
1 छोटा चम्मच पिसी हल्दी गुनगुने दूध में मिला कर प्रतिदिन पियें।इससे इम्युनिटी में आश्चर्यजनक इजाफा होता है।
मेथी के पानी शाम को 2 चम्मच मेथी एक कप पानी मे भिगो दें और सुबह छान कर पिये।
गोझवादी क्वाथ 25 ग्राम काढ़ा को 1 लीटर पानी मे धीमी आंच पर उबालें।250 ml शेष रहने पर सुबह शाम चाय की तरह पियें।
सितोपलादि चूर्ण 1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करें, अच्छा फायदा होगा।
बच्चों के सिर और पैर के तालुओं पर हींग और अजवाइन को सरसों के तेल में जला कर मालिस करने से अच्छी राहत मिलती है।
इन उपायों को अपनाने से वायरल फीवर से बच जा सकता है।
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