अलीम खान
अमेठी. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र के मुसाफिरखाना कोतवाली की मेन मार्केट में दिल को दहला देने वाली स्टोरी सामने आई है। यहां करोड़ों की बिल्डिंग हथियाने के लिए एक दरिंदे बड़े भाई ने कैंसर पीडित छोटे भाई को बेटों संग मिलकर मौत के घाट उतारते हुए जहाँ भाई के पवित्र रिश्ते को तार-तार किया, वहीं भाई की विकलांग पत्नी को अबला तो भतीजियों को अनाथ बना डाला। यही नहीं बल्कि इस वारदात नें योगी सरकार के उन बड़े पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के सिस्टम को भी बेनकाब किया है जो मीडिया के माध्यम से सुर्ख़ियों में बने रहते हैं, लेकिन सच तो ये है कि मरने वाला इंसाफ के लिए डेढ़ महीनों से इन निकम्मे अधिकारियों की चौखट की खाक छान रहा था, और उसे बस आश्वासन का झुनझुना ही मिला। अब जब के उसकी हत्या हो गई तो पुलिस ने FIR लिखकर बाडी का पीएम कराया है।जानकारी के अनुसार मुसाफिरखाना कोतवाली की कस्बा निवासी विकलांग सरस्वती देवी पत्नी देवी प्रसाद ने जेठ गंगा प्रसाद पर आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर दिया कि 21 अगस्त को लेखपाल और पुलिस टीम उसे कब्जा दिलाने के लिए पहुंचे थे। इससे आक्रोशित जेठ गंगाराम अपने तीन बेटों और पड़ोसी नकुल टंडन के साथ 24 अगस्त को सुबह घर पर आए पति से गाली-गलौज किया। बीच बचाव करने पहुंची सरस्वती को धक्का दिया और फिर देवी प्रसाद को यातना पहुँचाई। सरस्वती का आरोप है कि इसमें पति देवी प्रसाद की मौत हो गई। पुलिस ने पत्नी की तहरीर पर 304, 504, 506, 147 के तहत FIR दर्ज कर 25 अगस्त की देर शाम पोस्टमार्टम करा के परिजनों को डेड बाडी दिया।करोड़ों की बिल्डिंग का मामलाजानकारी के अनुसार दिल को दहला देने और खून के पवित्र रिश्तों को तार-तार करने वाली ये तस्वीर अमेठी जिले के किसी गांव की नहीं बल्कि मुसाफिरखाना कोतवाली के गल्ला मंडी की है। यहां एक बेशकीमती बिल्डिंग है, जिसकी कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है। इसके मालिकाना हक़ को लेकर दो सगे भाई देवी प्रसाद और गंगाराम गुप्ता में जंग छिड़ गई और इस जंग में गंगाराम गुप्ता देवी प्रसाद पर भारी पड़ा।मुख्य कारण ये है कि गंगाराम के पास अथाह पैसा है, जिससे उसने अधिकारियों के पेट भर रखे हैं और देवी प्रसाद की मजबूरी ये है कि गुरबत की मार के साथ-साथ उसे कैंसर जैसे भयावह रोग ने घेर रखा है। पत्नी पैरों से मजबूर और दो मासूम बच्चियां जिन्होंने अभी कायदे से दुनिया नहीं देखा।दो मासूम बेटियों के पेट पालने का जिम्मा देवी प्रसाद के कांधों पर था लेकिन घातक बीमारी ने अपना ऐसा कहर ढाया कि वो क्या कमाए और क्या लाए? लोगों की मानें तो छोटे भाई की इस मजबूरी को भांप बड़े भाई गंगा राम की आंखें जमीन और जायदाद पर टिक गई और एक दिन इन दोनों को घर से धक्का देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। तबसे आजतक पीड़ित दंपति दो मासूमों को लेकर गली-गली की खाक छान रहे थे।इस हालत पर पहुंचने के बाद पीड़ित इलाज छोड़ पुलिस और अधिकारियों के चक्कर काट रहा था, कभी उसे कोतवाली तो कभी एसपी ऑफिस बुलाया जाता रहा, लेकिन कार्रवाई आजतक नहीं हो सकी। अंत में आज पीडित ने मौत को गले लगा लिया। आपको बता दें कि यहां से पुलिस स्टेशन हो या एसडीएम-सीओ का आफिस और आवास सबकी दूरी लगभग 1 किलोमीटर की है।फर्जी ढंग से बड़े भाई ने करा ली थी वसीयतगौरतलब रहे कि मुसफिखाना गल्ला मंडी बाजार में दर्जन भर दुकानें और करोड़ों की बिल्डिंग होते हुए कैंसर से पीड़ित देवी प्रसाद उसकी विकलांग पत्नी और 2 छोटी मासूम बच्चियां आशियाने न होने से अनाथों की सी जिंदगी बसर कर रहा था और आज उसकी लाश भी सड़क के किनारे रखी हुई है। उसके पीछे की बड़ी वजह ये है कि बड़े भाई गंगाराम गुप्ता की नियत में खोट था। उसने करोड़ों की बिल्डिंग को वसीयत के ज़रिए अपने नाम करा लिया और घर के किसी मेंबर को कानों-कान खबर तक नहीं हुई। टाइम बीतने के बाद जब पिता का देहांत हो गया और दोनों भाइयों में छोटी-छोटी बातों पर तकरार-मारपीट होना शुरु हुई, मामला कोतवाली तक पहुंचा तब छोटे भाई देवी प्रसाद जानकारी करने तहसील पहुंचा था तो वहां बड़े भाई द्वारा गंगाराम की गई हेरा-फेरी की कारगुजारियों को जानकर वो ठगा सा हो गया था। इसी के बल पर बड़े भाई ने उसे रोड पर लाकर खड़ा किया।पत्नी बोली जी चाहता है बच्चियों संग खुदकुशी कर लेंवसीयत की जानकारी होने के बाद देवी प्रसाद गुप्ता ने आपत्ति लगाते हुए डीएम से न्याय की गुहार लगाई थी, डीएम ने आपत्ति को स्वीकार करते हुए उसे प्रॉपर्टी में आधे का हिस्सेदार होने की बात कही थी। लेकिन देवी प्रसाद बेबस ऐसे पड़ गया कि अब उस करोड़ों की बिल्डिंग में पैर रखे तो कैसे? एक बार कोशिश की भी थी तो बड़े भाई के साथ कुछ दबंग और उनके 3 बेटों ने रास्ता रोक दिया था। मृतक देवी प्रसाद गुप्ता की पत्नी का आरोप है कि जिले के सभी अधिकारियों से कब्ज़े को लेकर हर कोशिश कर के हार चुकी हूँ, लेकिन मेरी कोई सुनवाई नहीं। आखिर करें तो हम क्या करें? बस अब एक ही रास्ता बचता है कि बच्चियों के साथ खुदखुशी कर लें।डीएम बोले जांच कर होगी कार्यवाईफिलहाल इस मामले में डीएम अमेठी योगेश कुमार का कहना है कि वो मामले की जांच कराएगें, जो अधिकारी और कर्मचारी दोषी होगा उसके विरुद्ध कार्यवाई की जाएगी।
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