सत्येंद्र खरे
कौशांबी:इसे पुलिस की लापरवाही कहें या उदासीनता कि साइबर सेल का प्रभारी ऐसे दारोगा को बनाया गया है। जिन्हें स्मार्ट फोन भी चलाना नहीं आता है। स्मार्ट फोन या कंप्यूटर न चला पाने के कारण वह एक सिपाही पर निर्भर रहते हैं। वह सिपाही भी छुट्टी गया तो साइबर सेल से जुड़े अपराधों पर कोई काम नहीं होता है। ऐसा नहीं है कि जिले में तकनीकी रूप सक्षम दारोगा नहीं है। फिर भी तकनीकी रूप से अक्षम को यह कार्य दिया गया है। इसी का नतीजा है जिले में हो रहे अपराधों के खुलासे के लिए तकनीकी का कोई योगदान नहीं है।साइबर क्राइम को रोकने व अपराधियों तक पहुंचने के लिए सरकार ने भले ही पुलिस महकमे को हाईटेक किया है। इसके लिए अतिरिक्त बजट भी दिया गया है, लेकिन कौशांबी में यह व्यवस्था पूरी तरह से विकलांग है। जिला मुख्यालय मंझनपुर में साइबर सेल का कार्यालय तो खोला गया है, लेकिन वहां पर संसाधन व कर्मियों का अभाव है। यहां पर एक दारोगा और एक सिपाही से कार्य की औपचारिकता हो रही है। हालात यह है कि सर्विलांस सेल के पास ब्राडबैंड का कनेक्शन भी नहीं है। इसलिए साइबर क्राइम से जुड़े मामलों का खुलासा नहीं हो रहा है। पिछले दिनों पिपरी थाना क्षेत्र के मखऊपुर निवासी दीपक सिंह ने बताया के उसके खाते से डेढ़ लाख रुपये की ठगी कर ली गई। उसकी शिकायत के बाद भी साइबर सेल से उसे कोई मदद नहीं मिली।साइबर सेल प्रभारी ने बताया कि यहां पर संसाधन व कर्मियों का अभाव है। सिस्टम को चलाने के लिए एक सिपाही की तैनाती की गई है। जब वह छुट्टी पर चला जाता है तो सिस्टम नहीं चल पाता है। मुङो तो स्मार्ट फोन चलाने की भी जानकारी नहीं है तो साइबर सेल के सिस्टम को कैसे चलाऊंगा। यहां पर तकनीकी रूप से दक्ष लोगों की तैनाती की जाय।
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