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खम्बे लगे पर तार नही सीएम साहेब कैसे आयेगी 16 घण्टे बिजली

रिपोर्ट:- राजकुमार शर्मा


बाबागंज(बहराइच)। उत्तर प्रदेश की राजधानी से महज़ 120 किलोमीटर दूर स्थित जिला बहराइच में आज भी ऐसे कई ग्रामीण इलाके है जिनमे आज़ादी के बाद से आज तक बिजली नही पहुंच सकी।यूँ तो सूबे के मुख्यमंत्री शहर में 24 व ग्रामीण अंचलों में 16 घण्टे बिजली देने का दिन भरते नज़र आ रहे हो,लेकिन सूबे में तस्वीर कुछ और ही है।मामला इण्डो-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र नवाबगंज अंतर्गत अनेको ग्रामसभा के कुछ मजरो में वर्ष 2013-14 में राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना के तहत विभिन्न क्षेत्र के गांव को नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा सबवेन्ड्रो के माध्यम से विद्युतीकरण किया जाना था। परंतु सब्वेन्ड्रो द्वारा अधूरा कार्य छोड़ कर गाँव में कुछ खम्बा खड़ा कर चम्पत हो चले।मालूम हो के सब्वेन्ड्र द्वारा इस बर्बरता के कारण ग्रामीणों को अनेको अनेक समस्याओ का सामना करना पड़ता है चाहे वह बात बच्चो के पढ़ाई की हो या रास्ता निकलने के लिए राहगीरो की। सडक़ पर बने बड़े-बड़े गड्ढों बचने के लिए आज भी राहगीर लॉनटेन आदि का सहारा ले रहे है। परंतु ग्रामीणों की इस समस्या का निदान कैसे हो इस पर आज तक किसी आलाअधिकारी का ध्यान नही गया। ग्रामीणों द्वारा कुछ दिन तक तो नई सरकार द्वारा इस पर संज्ञान लेने का प्रयास किया,किंतु इंतजार के बाद भी समस्या जैसे की तैसे अभी भी बनी हुई है। गाँवो में खड़े खम्भे सरकार के विद्युत सम्बन्धी दावो को खोखला साबित करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं।वहीं 
सरकार ने जहाँ एक ओर कनेक्सन फ्री कर ज्यादा से ज्यादा लोगो को विद्युत से जोड़ने का प्रयास किया वहीं सीमावर्ती क्षेत्र के ये ग्रामीण सरकार को कोसते हुए देखे जा सकते है। बताते चले कि सीमावर्ती जानकारी अनुसर ग्राम निम्बिया, लहरपुर, सीतापुर, गंगापुर जैतापुर, कटरा, छिटुपुरवा, गोपालपुर सहित दर्जनों गाँव में केवल खम्भे ही लगे हैं तार व बिजली तो राम भरोसे ही ज़िम्मेदारों ने छोड़ रखी है।


बॉक्स में :-
कब बिजली आएगी का इंतजार

ग्रामीणों द्वारा कब बिजली आएगी का इंतज़ार करते-करते लोग थक चुके है। यहाँ तक ग्रामीण गंगापुर निवासी  राजकुमार होली, ननकऊ, अब्दुलरहमान, लियाकत अलीबौरी, चंद्रशेखरवर्मा, लकछूराम, धनीराम आदि ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि संबंधित ढेकेदारो ने कार्य को अधूरा कर खानापूर्ती करते हुए आवंटित धनराशि का बंदरबाट कर लिया, 
जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

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