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गोण्डा के प्रभारी बीएसए पर लटकी कार्रवाई की तलवार

 

जिले के प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को मांगपत्र सौंपते उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष

मंत्री से शिकायत के बाद हरकत में आया प्रशासन

डीएम ने दिए जांच के आदेश, चार सदस्यीय समिति गठित

ए. आर. उस्मानी

गोण्डा। जिले के प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विनय मोहन वन मृतक आश्रितों की नियुक्ति की पत्रावली दबाने के मामले में बुरी तरह फंस गए हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की शिकायत पर जिलाधिकारी ने 4 सदस्यीय समिति का गठन कर मामले की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही जांच टीम से 10 दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की है। इस आदेश के बाद प्रभारी बीएसए की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गई हैं।

    बता दें कि गोण्डा जिले का बेसिक शिक्षा विभाग इन दिनों कस्तूरबा स्कूलों में हुए 96 लाख रुपये के घोटाले को लेकर सुर्खियों में है। इस घोटाले में प्रभारी बीएसए विनय मोहन वन समेत सहायक वित्त लेखाधिकारी व डीसी बालिका दोषी पाए गए हैं। सीडीओ शशांक त्रिपाठी की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने इन तीनों अफसरों से घोटाले की धनराशि की वसूली की संस्तुति की है। वहीं डीसी बालिका रजनी श्रीवास्तव ने प्रभारी बीएसए पर उत्पीडन का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल रखा है। इन तमाम मुश्किलों के बीच अब शिक्षक संघ भी बीएसए के विरोध में उतर आया है। दो दिन पहले उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने बीएसए पर मृतक आश्रितों की नियुक्ति के संबंधित पत्रावली को जानबूझकर दबाए रखने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत जिले के प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह से की थी। इस पर मंत्री ने डीएम को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। मंत्री के निर्देश के बाद अब डीएम मार्कण्डेय शाही एक्शन में आ गए हैं। उन्होंने पूरे मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। जांच के लिए डीएम ने सीडीओ शशांक त्रिपाठी के नेतृत्व में 4 सदस्यीय टीम का गठन किया है और 10 दिन के भीतर पूरी रिपोर्ट तलब की है। इस आदेश के बाद बीएसए दफ्तर में खलबली मच गयी है। माना जा रहा है कि जांच के बाद बीएसए की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

   उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आनंद त्रिपाठी का कहना है कि मृतक आश्रितों की नियुक्ति से संबंधित एक दर्जन फाइलें बीएसए दफ्तर में लंबित हैं। इसको लेकर कई बार वह बीएसए से मिल चुके, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है। बीएसए जान बूझकर फाइलों को लटका रहे हैं।


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