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खुले आसमान में ककहरा सीख रहे 75 नौनिहाल




सिर्फ इंचार्ज अध्यापक के सहारे संचालित हो रहा स्कूल
सत्येन्द्र खरे 
कौशाम्बी :सिराथू ब्लॉक के भगौतापुर स्थित प्राथमिक विद्यालय के 75 नौनिहालों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। स्कूल परिसर में सम्पर्क मार्ग, पेयजल, बिजली और शौचालय समेत दूसरी सभी सुविधाएं नदारत हैं। नतीजतन बच्चे खुले आसमान के नीचे ककहरा सीखने को मजबूर हो रहे हैं। बड़ी बात ये है कि इतनी बड़ी अव्यवस्था के बाद भी अफसर बेखबर हैं।  
सर्व शिक्षा अभियान के तहत नौनिहालों को साक्षर बनाने के लिए सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है। पर, जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर स्थित भगौतापुर प्राइमरी स्कूल में ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। वर्ष 2013-14 में बने इस स्कूल भवन क्रेक हो गया है। कच्ची फर्स में जलभराव रहता है। अब तक दरवाजा, खड़की भी नहीं लगाया जा सका है। परिसर में लगा हैंडपम्प का आधा हिस्सा जमीन में धंस चुका है। बिजली, पानी के साथ ही शौचालय का भी निर्माण नहीं कराया गया है। खेतों के बीच बने इस विद्यालय तक पहुंचने के लिए सम्पर्क मार्ग भी नहीं बनवाया गया। इन सारी अव्यवस्थाओं के बावजूद इंचार्ज अध्यापक रामप्रकाश, सहायक अध्यापक ओमकृष्ण पांडेय, शिक्षामित्र आशा देवी समेत तीन टीचिंग स्टाफ की तैनाती कर स्कूल संचालन प्रारम्भ कर दिया गया। इंचार्ज अध्यापक ने बताया कि स्कूल में एक से लेकर पांच तक कुल 75 बच्चे पंजीकृत हैं। सुविधाओं के अभाव में बच्चों को स्कूल से दूर खुले आसमान के नीचे खेतों में बैठकर पठन-पाठन कराया जा रहा है। 


एक ही रजिस्टर पर चल रही पांच कक्षाएं
नियमानुसार हर कक्षा के लिए अलग-अलग हाजिरी रजिस्टर बनाने का प्राविधान है। पर, स्कूल में तैनात तीन अध्यापक की जगह सिर्फ इंचार्ज अध्यापक ही बच्चों को पढ़ाते हैं। इसलिए सभी कक्षाओं का एक ही रजिस्टर बनाया गया है। इंचार्ज अध्यापक ने बताया कि यहां तैनात शिक्षामित्र मातृत्व अवकाश पर है। जबकि सहायक अध्यापक तैनाती के बाद से ही गायब हैं।


खुले में शौच जाते हैं बच्चे
पंचायत राज विभाग ने पिछले दिनों स्कूलों में शौचालय बनवाने का निर्देश दिया था। ऐसा नहीं करने पर ग्राम प्रधान के खाता संचालन में रोक लगाने की चेतावनी दिया था। इसके बाद भी  भगौतापुर स्कूल परिसर में शौचालय का निर्माण नहीं करवाया गया। ऐसे में नौनिहाल खुले में शौच जाने को मजबूर हो रहे हैं।

दो साल से भूखे पेट लौट रहे बच्चे
परिषदीय स्कूल के नौनिहालों को दोपहर में भोजन मुहैया कराने के लिए एमडीएम योजना संचालित है। इसके लिए स्कूलों में किचेन शेड बनवाने के साथ ही रसोइयों की तैनाती का प्राविधान है।  पर, भगौतापुर स्कूल में ऐसा कुछ भी नहीं है। नतीजतन यहां पंजीकृत बच्चे पूरे दो साल से भूखे पेट लौटने को मजबूर हो रहे हैं।

सुविधाओं के अभाव में स्कूल से दूर हो छात्र
सुविधाओं के अभाव की वजह से अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजते ही नहीं हैं। कईयों ने तो कुछ दिन भेजने के बाद नाम ही कटवा लिया है। गांव की राजकली ने बताया कि उसके दो बच्चे प्रियांशु और हिमांशु पढ़ रहे थे। पर, स्कूल की अव्यवस्थाओं को देखते हुए राजकली ने अगस्त महीने में दोनों बच्चों के नाम कटवा लिया। अब वो बच्चों को कानवेंट स्कूल में भेज रही हैं।

ग्रामीणों की मदद से गुरुजी को नसीब हुई कुर्सी 
प्राथमिक विद्यालय टीचिंग स्टॉफ के लिए फर्नीचर भी नहीं है। ग्रामीणों की मदद से गुरूजी को बैठने के लिए कुर्सी मिल रही है। इंचार्ज अध्यापक रामप्रसाद ने बताया कि गांव के शिवगोविंद अग्रहरि के घर से स्टूल मंगाकर बैठते हैं। बच्चों का हाजिरी रजिस्टर भी वहीं रखा जाता है।

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