पं श्याम त्रिपाठी / बनारसी मौर्या
नवाबगंज (गोंडा) ।सरकार द्वारा स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के लिए भारी-भरकम बजट पानी की तरह बहाया जा रहा है लेकिन कार्यदायी संस्थाओं, ठेकेदारों और विभागीय जिम्मेदारों की अकर्मण्यता के कारण कई दर्जन गांवों के हजारों लोग स्वच्छ पेयजल की एक बूंद को तरस रहे हैं। यही कारण है कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना धरातल पर ध्वस्त हो गई और अब जल जीवन मिशन की परिकल्पना भी औंधे मुंह गिरती नजर आ रही है।क्षेत्र के उमारिया गांव मे करीब दो करोड़ लागत से टंकी बनी बनने के बाद कभी एक बूंद पानी किसी ने नही लिया गांव के प्रधान प्रतिनिधि अभिषेक सिंह ने बताया कि जलकल विभाग के तरफ से तमाम लोग आये आश्वासन दीया पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नही हुआ यह सफेद हाथी साबित हो रही है। वही लौव्वाबीरपुर गांव में लगभग सवा करोड़ की लागत से बनी पानी की टंकी ट्रायल में ही लीकेज हो गई थी। सालों से यह बंद है। यहां का आपरेटर भी लापता है। सैकड़ों परिवारों को इस टंकी के द्वारा साफ पानी की आपूर्ति की जानी थी।ग्राम विकास अधिकारी पवन गुप्ता ने बताया कि टंकी बनने के बाद ही लीक हो गई थी जिसके संबंध में संबंधित अधिकारियों को लिखकर दिया गया है। मरम्मत के बाद जल आपूर्ति शुरू कराई जायेगी।
ग्राम पंचायत मंहगूपुर में बनी पानी की टंकी से शुरूआत के लगभग 03 साल तक ग्रामीणों को सुचारू रूप से जल आपूर्ति की गई फिर लीकेज की समस्या के कारण यह भी बंद हो गई। यहां पर आपरेटर रहे उमाशंकर तिवारी ने बताया कि लगभग 05 वर्ष से आपूर्ति बंद है।ग्राम प्रधान संतोष पांडे कक्के ने बताया कि जिलाधिकारी से शिकायत के बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ है। ग्राम पंचायत जलालपुर में 01 वर्ष पूर्व लीकेज की समस्या के कारण पानी की टंकी बंद कर दी गई है। प्रधान प्रतिनिधि अरविंद ने बताया कि कई बार शिकायत की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आपरेटर मन्ना मौर्या ने बताया कि उसे मानदेय भी नहीं मिला।बगल के ही गांव सिरसा में लगभग 06 वर्ष पूर्व बनने के बाद से ही पानी की टंकी बंद है।यहां लाखों रूपये खर्च कर बनी टंकी मात्र शो पीस बनकर रह गई है।आंशिक बाढ़ ग्रस्त गांव दुल्लापुर में भी पानी की टंकी के निर्माण और आपूर्ति के लिए मनमाने ढंग से बिछाई गई पाइपों में लीकेज के कारण यह टंकी भी आपूर्ति नहीं कर रही है। ग्राम प्रधान धनराज निषाद ने कहा कि पाइपों में लीकेज के कारण आये दिन लोगों में झगड़ा होता था।क्षेत्र के उमरिया और चकशिवरहा गांव में विगत 05 बर्षों बन रहे वाटर टैंकों का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। कछुए की गति से हो रहे इस निर्माण कार्य को देखकर ग्रामीणों की आंखे थक चुकी हैं।चक्रशिवरहा गांव मे भी बना हुआ है पर वहा भी पानी का एक बूंद नही लोगों को मिल पाया है। बहरहाल करोड़ों रूपयों की लागत से बनी इन खस्ताहाल पानी की टंकियों के संचालन का जिम्मा ग्राम पंचायतों का है। कार्यदायी संस्थाओं, ठेकेदारों द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार कर आधी-अधूरी बनाई गई इन पानी की टंकियों की मद में सरकार के अरबों रूपये डकारे जा चुके हैं। विभाग भी इनकी मरम्मत कराने की जहमत नहीं उठा रहा है वहीं इन खस्ताहाल टंकियों से जल आपूर्ति कराने में ग्राम पंचायतों के जिम्मेदारों के पसीने छूट रहे हैं।लाखों रुपये बनी इन पानी की टंकियों में फिलहाल ग्रामीणों द्वारा तम्बाकू और गोबर के उपले सुखाये जा रहे हैं। विकासखंड के लगभग तमाम गांवो मे यही स्थिति है ब्लाक के लाखो की आबादी स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति किताबो मे ही सिमित है ।इन सभी मामलों के संबंध में मुख्य विकास अधिकारी एम. अरून्मौली ने कहा कि नई परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए शासन को पत्र लिखा गया है और पूर्व में कराये गये कार्यों और समस्याओं के संबंध में जल निगम के अधिकारियों से बात की जायेगी।
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