डीएम को संबोधित ज्ञापन देकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की उठाई मांग
कुलदीप तिवारी
लालगंज प्रतापगढ़। तहसील के बलीपुर परसन गांव मंे तिरपन बीघे एकमुश्त जमीन को तहसील प्रशासन द्वारा अकृषक घोषित किये जाने को लेकर दूसरे दिन तहसील में वकीलों ने प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ आक्रोश जताया है। जिले के सांसद संगम लाल गुप्ता समेत तीन लोगों की खेती की जमीन को व्यवसायिक घोषित किये जाने को लेकर बुधवार को भी तहसील में माहौल गर्म दिखा। संयुक्त अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष लाल विनोद
सिंह की अगुवाई में वकीलो ने डीएम को संबोधित तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन मंे कहा गया है कि तत्कालीन उप जिलाधिकारी एवं तहसीलदार ने तालाबी अराजी समेत तिरपन बीघे से अधिक जमीन को बिना जांच पडताल के अकृषक घोषित कर दिया। ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया है कि जिले के मौजूदा सांसद संगम लाल गुप्ता तथा उनके भाई दिनेश गुप्ता समेत शान्ती देवी के नाम फर्जीवाडे के चलते तालाबी जमीन को भी व्यवसायिक घोषित किया गया है। ज्ञापन देने वाले अधिवक्ताओं ने कहा है कि सम्बन्धित भूमि ग्राम गौरा तहसील पटटी के अवधेश कुमार व श्रीकृष्ण तथा रामदेव से सांसद संगम लाल गुप्ता समेत तीन लोगों ने लालगंज तहसील के बलीपुर परसन गांव में जमीन खरीदा। वकीलों का सवाल है कि बलीपुर परसन में खेती की भूमि को बेंचने वाले और खरीदने वाले दोनों इस तहसील से तालुक तक नही रखते। ज्ञापन मे कहा गया है कि अकृषक घोषित जमीन में गाटा संख्या आठ सौ ग्यारह, आठ सौ सोलह, आठ सौ चालीस, आठ सौ इक्तालिस तथा आठ सौ पैंतालिस राजस्व अभिलेखो मे तालाबी अराजी दर्ज है। संघ के उपाध्यक्ष विनोद ने मांग उठाई है कि तत्कालीन एसडीएम व तत्कालीन तहसीलदार को निलंबित कर तालाबी अराजी की जमीन को पूर्ववत बहाल किया जाये। ज्ञापनदाताओं में संतोष पाण्डेय, केके शुक्ला, प्रमोद सिंह, मो. असलम, सिंटू मिश्र, विपिन शुक्ल, धीरेन्द्र मिश्र, घनश्याम मिश्र, हरिश्चंद्र पाण्डेय, घनश्याम संवरिया आदि अधिवक्ता रहे। बतादें इस मामले को लेकर मंगलवार को संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश व पूर्व उपाध्यक्ष विपिन शुक्ल द्वारा एसडीएम कोर्ट में वाददायरा दाखिल किया गया है। इस पर आज गुरूवार को कोर्ट ने सुनवाई की तिथि तय की है। बुधवार को तहसील के प्रशासनिक अमले मे भी इस कार्रवाई को लेकर अफरातफरी का माहौल दिखा। अंदर ही अंदर प्रशासनिक तबका अभिलेखों की जांच पड़ताल में भी जुटा बताया गया। वहीं अकृषक भूमि घोषित करने की कार्रवाई को लेकर जिले मे ही तैनात मौजूदा समय के दो अफसर भी तहसील की गतिविधियों पर अपने सूत्रों के जरिए अंदर ही अंदर नजर गड़ाये दिखे। सूत्रों के मुताबिक खेती की जमीन के एक बड़े हिस्से को पहले स्वामित्व रखने वाले एक व्यक्ति ने तीन लोगों के नाम वसीयत कर दिया। कम्प्यूटर में स्वामित्व का अंकन पूर्ववत होने के कारण वसीयत करने वाले के उत्तराधिकारियों ने जमीन वसीयत के बाद बेंच दिया। यह तमाम सवाल लोगों के बीच प्रशासनिक कार्रवाई को कटघरे मे खड़ा करते दिख रहे हैं।
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