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पलिया कलां:पुण्य तिथि पर सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज में स्मरण किए गए डॉ. अम्बेडकर



आनंद गुप्ता 

 पलिया कलां खीरी: सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज पलिया में वन्दना सभा में संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। 


इस कार्यक्रम में मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर पुष्पार्चन विद्यालय के प्रधानमंत्री छात्र प्रभात त्रिवेदी ने किया।

प्रभात ने डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि उनके समय में विद्या भारती होती तो उन्हे छुआछूत के कारण दुखी न होना पड़ता। 


विद्यालय के छात्र शौर्य पाण्डेय ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उनके लिए धर्म से ऊपर देश था। उन्होंने अपने जीवन के उत्तरार्ध में हिन्दू धर्म के ही समवैचारिक धर्म बौद्ध धर्म को अपनाया। 


उनकी राष्ट्र के प्रति अच्छुण निष्ठा का स्मरण करते हुए छात्र शौर्य पाण्डेय ने मनमोहक देश भक्ति गीत 

 उस देव भूमि के ध्यान से मैं धन्य धन्य हो जाता हूं,

है भाग्य मेरा सौभाग्य मेरा मैं तुझको शीश नवाता हूं।

   प्रस्तुत किया। 

अन्त में विद्यालय के प्रधानाचार्य वीरेन्द्र वर्मा ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा हम सभी के लिए संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का जीवन एक अनुकरणीय दृष्टान्त हो सकता है उनके जीवन की उन कठिनाइयों की संकल्पना मात्र से ही रूह सिहर जाती है। 


जब भीमराव अध्ययन के लिए पाठशाला जाते थे उन दिनों अपने मित्रों से लेकर समाज के तथाकथित बुद्धिजीवियों के द्वारा भी प्रताड़ित हुए। विपरीत परिस्थितियों में भी कभी भीमराव अपने अध्ययन से विमुख न हुए। 


सत्य की राह तो सभी के लिए कठिन है परन्तु सात्विक परिणामकारी होती है। आप आजाद भारत की प्रथम चयनित सरकार में कानून मंत्री बने। 10 अक्टूबर 1956 को उन्होंने बौद्ध दीक्षा ली। एक माह 26 दिन बाद ही उनका महाप्रयाण हुआ। 


आज हम सभी को उनके जीवन के प्रारम्भिक प्रसंगों का अध्ययन कर सीख लेनी चाहिए साथ ही सभी के प्रति समभाव से व्यवहार करने का संकल्प भी लेना चाहिए। कार्यक्रम का सञ्चालन विद्यालय की द्वादश की बहनों ने किया।

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