सुनील उपाध्याय
बस्ती। रामलीला के चौथे दिन राम वनवास की कथा का मंचन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। मंचन के कई दृश्यों ने लोगों को भावुक कर दिया।
अयोध्या नरेश महाराज दशरथ ने विचार किया कि राम को अयोध्या का राजा बनाया जाए। उन्होंने अपने मंत्री सुमंत को बुलाकर बड़े बेटे राम को राजा बनाए जाने के लिये राज्याभिषेक की तैयारी करने का आदेश दिया।
यह सूचना जैसे ही महारानी कैकेयी की दासी मंथरा को प्राप्त हुई, मंथरा ने महारानी के कान भरना शुरू कर दिया।
महारानी कैकेयी मंथरा की बातों को मानकर राजा दशरथ से अपने पुराने दो वरदान मांगे। राजा दशरथ ने महारानी कैकेयी को दोनों वरदान देने का निर्णय करते हुए कहा कि हम रघुवंशी हैं, हम अपने दिए गए वचन को निभाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
कैकेयी ने अपने पुत्र भरत को राजतिलक और कौशल्या पुत्र राम को चौदह वर्ष का वनवास मांगा। यह सूचना जैसे ही भगवान राम को मिली, भगवान राम तुरन्त वन गमन को तैयार हो गए।
जैसे ही भगवान राम के वन गमन की सूचना महराज दशरथ को हुई, वो विचलित और व्याकुल हो गए।
जैसे ही भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ वन गमन करने को प्रस्थान किया, वैसे ही राजा दशरथ फूट-फूट कर रोने लगे और पूरी अयोध्या नगरी में शोक छा गया। भगवान राम के साथ अयोध्या के हजारों नर, नारी भी वन गमन करने को तैयार हो गए।
यह मंचन देख उपस्थित दर्शकों की भी आँखें नाम हो गयीं। आदर्श रामलीला समिति खुशहालगंज द्वारा आयोजित इस रामलीला में कलाकारों ने अपनी बेहतरीन अदाकारी से उपस्थित दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप मे श्री चंद्रभान सिंह, विनोद सिंह, दिलीप सिंह, राम श्रृंगार यादव, घनश्याम पांडे, डॉ जे आर मौर्या, मस्तराम सिंह, बीके मिश्रा, हरिओम पांडे ,ग्राम प्रधान विजय शंकर सिंह, रामलीला संचालक अमर बहादुर सिंह, गिरीश कुमार सिंह,शिवम सिंह ,विशाल सिंह, रोशन सिंह, विपिन सिंह, हंसराज सिंह, प्रवीण कुमार सिंह, वीरेंद्र पाल सिंह, विनोद यादव, मनोज यादव, तेजभान सिंह आदि उपस्थित रहे।
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