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गोण्डा:महिला सशक्तिकरण विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का हुआ आयोजन

बी पी त्रिपाठी

गोण्डा: उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं  जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा  मयंक कुमार जैन के आदेश के आलोक में  कृष्ण प्रताप सिंह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा की अध्यक्षता में मनाये जा रहे आजादी का अमृत महोत्सव के अनुसरण में विधिक सेवा व सहायता गतिविधियों को जन जन तक पंहुचाने के उद्देश्य से जनपद गोण्डा के सरस्वती देवी नारी ज्ञानस्थली महाविद्यालय में महिलाओं के लिए समर्पित महिला सशक्तिकरण विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा द्वारा किया गया। 



विधिक जागरूकता शिविर में सचिव कृष्ण प्रताप सिंह द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि आजादी का अमृत महोत्सव के अनुरूप विधिक सेवा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। 



इसका उद्देश्य भारत के संविधान में जनसामान्य के जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन रोकने के लिए मौलिक अधिकार दिया गया है, जिससे जनपद के समस्त जनमानस तक विधिक सेवा/सहायता गतिविधियों सेे जागरूक करते हुए पंहुच सुनिश्चित करना है। 



आज का युग ऐसा युग है, जिसमें महिलाओं को संविधान में कई अधिकार दिये गये हैं। आज महिलाएं इस विकासशील भारत में विकसित बनाने के लिए अपना योगदान देती हैं, परन्तु फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है तथा उनके अधिकारों का हनन किया जाता है। 



महिला सशक्तीकरण पर  जानकारी देतेे यह भी बताया गया कि वर्तमान में महिलाओं को कानूनी अधिकार प्राप्त है जैसे महिलाओं के कार्यस्थल पर छेड़-छाड़/यौन उत्पीड़न से संरक्षण का अधिकार, पुरूषों के समान पारिश्रमिक का अधिकार, यौन उत्पीड़न की पीड़िता का नाम सार्वजनिक न होने का अधिकार, पति अथवा रिश्तेदारों के खिलाफ घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार, कामकाजी महिलाओं को मातृत्व सम्बन्धी लाभ का अधिकार, कन्या भू्रण हत्या के खिलाफ अधिकार, रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार, सम्पत्ति में बराबरी का अधिकार, पीड़िताओं को क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार व मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार आदि के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया तथा महिलाओं से सम्बन्धित कानूनों की विधिवत जानकारी दी गयी।

           


वर्तमान में न्याय सभी के लिए उपलब्ध है, न्याय पाने का सभी को समान अधिकार है। यदि कोई व्यक्ति अपना मामला न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहता है अथवा उसका कोई प्रकरण न्यायालय में लम्बित है तो उस व्यक्ति की गरीबी न्याय दिलाने में रूकावट नही होगी। 



वर्तमान समय में तहसील स्तरीय न्यायालय से उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय तक न्याय दिलाये जाने हेतु विधिक सेवा समितियां, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समितियां कार्य कर रही हैं। 



कोई भी व्यक्ति जो अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य है, मानव दुव्र्यव्हार एवं बेगारी से पीड़ित है, स्त्री या बालक है, मानसिक रूप से अस्वस्थ अथवा असमर्थ है, जातीय हिंसा, अत्याचार, औद्योगिक कर्मकार आदि श्रेणी में आने वाले व्यक्ति हैं, तो निःशुल्क विधिक सहायता पाने के हकदार हैं। 




इसके लिए आवेदन जिले में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को करना पडेगा। दूरस्थ ग्रामीण एवं दूरगामी क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति आनलाइन के माध्यम से विधिक सेवाओं की जानकारी तथा निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

         


जिला बाल एवं महिला कल्याण अधिकारी फरहाना फातमा तथा बाल संरक्षण अधिकारी नेहा श्रीवास्तव द्वारा महिलाओं के अधिकार विषय पर जानकारी देते हुए मिशन शक्ति पर प्रकाश डाला गया। सरस्वती देवी नारी ज्ञान स्थली महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा महिला सशक्तिकरण को नुक्कड़ नाटक के माध्यम से प्रदर्शित किया गया तथा सरस्वती देवी नारी ज्ञान स्थली महाविद्यालय की प्राचार्य आरती श्रीवास्तव द्वारा महिला एवं बालिकाओं के सुरक्षा एवं संरक्षण पर जानकारी देते हुए बेटी बचाओं-बेटी पढाओ एवं महिला सशक्तिकरण पर विचार व्यक्त किया गया।

               


इस अवसर पर पराविधिक स्वयं सेवक संजय कुमार दूबे, प्रभुनाथ के साथ शिक्षकगण किरन पाण्डेय, हरप्रीत कौर, गीता श्रीवास्तव तथा भारी संख्या में छात्राऐं शिविर में उपस्थित रही। इस विधिक जागरूकता शिविर में महिला कल्याण विभाग द्वारा प्रतिभाग करते हुए सकिय्र सहभागिता प्रदान की गयी।

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