ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। एक प्रचलित कहावत है कि खाता न बही, जो पुलिस कहे वही सही! आजकल इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं मनकापुर कोतवाली में तैनात दरोगा शिव लखन सिंह यादव। नवयुवक होने के साथ-साथ रंगबाजी भी भरपूर है। जब दरोगा जी वाहनों की चेकिंग शुरू करते हैं तो बगैर कागजात देखे ही ऑनलाइन चालान काट देते हैं। वाहन स्वामी या चालक जब तक पेपर्स दिखाना चाहते हैं तब तक मोबाइल पर ई-चालान का मैसेज आ जाता है। बेलगामी का आलम यह है कि यह महाशय भाजपा नेता और क्षेत्र के पत्रकारों तक के साथ यही बर्ताव करते हैं। दरोगा की इस कार्यशैली से सत्तापक्ष के क्षेत्रीय नेताओं व पत्रकारों में रोष व्याप्त है।
मनकापुर कस्बा निवासी लखनऊ से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र का संवाददाता समाचार कवरेज करने के लिए 19 जुलाई को घर से निकला था कि करीब 100 मीटर की दूरी पर पहुंचते ही मनकापुर कोतवाली में तैनात दरोगा शिवलखन सिंह यादव ने उसे रोक लिया। पत्रकार ने अपना आईकार्ड दिखाया तो वह अभद्रता करने लगा। आरोप है कि दरोगा शिवलखन यादव ने कहा कि तुम्हारे जैसे पत्रकार बहुत आते-जाते हैं। चल, गाड़ी साइड में लगा और झटपट कागज दिखा। पत्रकार ने बाइक का कागज, डीएल आदि दिखाया लेकिन दरोगा तो चालान काटने का मूड पहले ही बना चुका था। इसलिए उसने हेलमेट न होने का हवाला देकर बाइक का ऑनलाइन चालान काट दिया।
इसी तरह मनकापुर कोतवाली क्षेत्र के इटरौर गांव निवासी भाजपा नेता विशाल सिंह अपनी स्विफ्ट डिज़ायर कार नंबर यूपी-32 जेसी 3372 से जा रहे थे। दरोगा शिवलखन सिंह यादव ने गाड़ी रोका और कागजात की मांग की। विशाल सिंह ने बताया कि वह गाड़ी के पेपर्स लेकर दरोगा के पास पहुंचते, उससे पहले ही उनकी मोबाइल पर ई-चालान काटने का मैसेज आ गया। दरोगा ने बगैर पेपर्स देखे ही 1500 रूपये का चालान काट दिया, जबकि विशाल के मुताबिक वह बेल्ट लगाकर गाड़ी ड्राइव कर रहे थे और गाड़ी के सारे कागजात भी कंपलीट हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या ई-चालान काटने का कोई नियम नहीं है? यदि है तो, रंगबाज दरोगा शिवलखन यादव उससे अंजान क्यों हैं? और अगर अंजान नहीं है तो फिर यह तानाशाही और बेलगामी आखिर किसके इशारे पर चलाकर वर्दी के रसूख के बल पर लोगों का शोषण कर रहे हैं?
बताया जाता है कि दरोगा शिवलखन यादव की कार्यशैली इन दिनों मनकापुर क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। उसकी बेलगामी की शिकायतें भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं द्वारा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह राजा भैया से की जा चुकी है। वहीं दरोगा की कार्यशैली से भाजपा नेताओं व पत्रकारों में भी रोष व्याप्त है। लोगों ने पुलिस अधीक्षक से कार्रवाई की मांग की है।
वर्दीधारियों पर नहीं लागू होता यातायात नियम?
सरकार ने बिना मास्क, हेलमेट, सीट बेल्ट के सड़कों पर निकलने वालों पर जुर्माने की व्यवस्था कर रखी है। पुलिस नियम तोड़ने वालों से जुर्माना के नाम पर भारी भरकम रकम भी वसूूल रही है। लेकिन सच यह है कि आम आदमी को नियमों का पालन करने का पाठ पढ़ाने वाले पुलिसकर्मी ही नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। पड़ताल में बहुत से पुलिसकर्मी कहीं बिना मास्क घूमते हुए दिखाई दिए, तो कहीं खुलेआम बाइक से बिना हेलमेट के सड़कों पर फर्राटा भरते नज़र आए। सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि जब कानून का पालन कराने वाले खुद ही नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं तो जनता नियमों का पालन कैसे करेगी? लॉकडाउन के दिनों में मनकापुर कोतवाली क्षेत्र में पुलिस बगैर जरूरी कागजात चेक किए ही रोजाना सैंकड़ों का दोपहिया व चौपहिया वाहनों का ऑनलाइन चालान काट रही है। लोग चालान काटने वाली पुलिस के आगे बेबस होकर चुपचाप चालान कटवाते भी हैं और अगर गलती से भी कोई कागज वगैरह की बात करता है तो गलत व्यवहार लिखकर चालान मोटा कर दिया जाता है। लेकिन जब बात खुद नियमों का पालन कराने वाले पुलिसकर्मियों पर आती है तो ये स्टाफ का हवाला देकर चुपके से निकल जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है की क्या कानून केवल जनता के लिए ही लागू होते हैं? क्या इन पुलिसकर्मियों के लिए कोई कानून नहीं है? क्योंकि जनता गलती से भी यातायात नियमों का उल्लंघन करती है तो पुलिस उससे जुर्माना वसूलती है, लेकिन जब पुलिस ही नियम तोड़ती है, तो उनसे जुर्माना कौन वसूल करेगा?
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