अखिलेश्वर तिवारी
एनआरएलएम के तहत मां जगदम्बा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने शुरू किया काम
कोरोना योद्धाओं के बचाव के लिए विभिन्न विभागों से हो रही है मांग
महिलाओं द्वारा बनाये डबल व ट्रिपल लेयर मास्क की सरकारी विभागों में हो रही है आपूर्ति
बलरामपुर ।। सफलता पाने का कोई एक रास्ता नहीं होता, सपने देखने की चाह और उसे पूरा करने की ललक ही कामयाबी के मुकाम तक पहुंचाता है। एक शायर की लाइन आपने बहुत बार सुनी और पढ़ी होगी, ‘‘मंजिल उन्ही को मिलती है जिसके सपनों में जान होती हैं, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। इन्ही चंद लाइनों को हकीकत में बदला है सुनीता देवी ने। शादी के बाद घर के चुल्हे चैके में व्यस्त सुनीता को याद भी न रहा कि उनका भी कोई अस्तित्व है लेकिन एक दिन गांव में पहुंची कुछ महिलाओं ने उनकी जिन्दगी बदल दी।
जानकारी के अनुसार सदर विकास खंड के सिसई गांव की रहने वाली सुनीता देवी इस वक्त ना सिर्फ खुद स्वरोजगार में जुटी हैं बल्कि अन्य महिलाओं को भी फेस प्रोटेक्टिव मास्क बनाकर अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित कर रहीं हैं। सुनीता स्वयं सहायता समूह के माध्यम से कोरोना जैसी महामारी में लोगों के बचाव के लिए फेस मास्क बना रहीं हैं और उनके बनाये मास्क की मांग काफी हो रही है। श्रावस्ती जिले के मनिकापुर लालबोझी की रहने वाली सुनीता की शादी 2011 में सिसई गांव के एक परिवार में हुई। उस वक्त सुनीता 18 वर्ष की थीं और इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहीं थीं। 2012 में उन्होने ससुराल में पढ़ाई कर इंटर की परीक्षा पास की और घर के चूल्हे चैके में लग गईं। शादी के बाद सुनीता ये भूल ही गई थीं कि उन्होने पढ़ाई भी की है लेकिन कुछ कर गुजरने का हौसला अब भी उनके अंदर था। वर्ष 2018 गांव में स्वरोजगार के लिए महिलाओं को जागरूक करने पहुंची कुछ महिलाओं से बात करने के बाद सुनीता की जिन्दगी में बदलाव आया और उन्होने दिसम्बर 2018 में 11 महिलाओं के साथ मिलकर मां जगदम्बा स्वयं सहायता समूह का गठन किया। समूह गठन का रास्ता सुनीता के लिए आसान नहीं था लेकिन उन्होनें अन्य महिलाओं को भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित किया। सुनीता स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ धीरे धीरे स्वरोजगार के लिए आगे बढ़ रहीं थी कि कोरोना जैसी महामारी ने देश में दस्तक दी और लाॅकडाउन हो गया। सुनीता देवी के समूह को इसी बीच में राष्ट्रीय रोजगार आजीविका मिशन के तहत फेस मास्क बनाने का काम मिला। शुरू में उन्होने स्वयं समूह के खाते से रूपये निकालकर कच्चा माल खरीदा और कपड़े से बने मास्क के कुछ सैम्पल तैयार किये और सैम्पल पास हो जाने के बाद तेजी के साथ काम शुरू किया।
सुनीता ने बताया कि कोरोना वायरस को हराने के लिए उन्होने अपनी मेहनत से उन्होने घर के काम काज करने के साथ एक दिन में 50 मास्क बनाये। उनके काम को देखते हुए समूह की अन्य महिलाओं ने भी सुनीता का साथ दिया और आज सुनीता ही नहीं कलावती, लीलावती, विमला और मुन्नीदेवी मिलकर प्रतिदिन 50-50 मास्क बनाने के काम को अंजाम दे रहीं हैं। उन्होने बताया कि समूह की महिलाओं ने मिलकर अब तक करीब एक हजार फेस मास्क तैयार किये है जो कोरोना वायरस से बचाव के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। महिलाओं द्वारा बनाये गये इस मास्क को हाथों हाथ सरकारी विभागों में लिया जा रहा है। इसमें डबल लेयर और ट्रिपल लेयर दोनों तरह के मास्क शामिल हैं जिसमें इन्हे लागत सहित प्रति मास्क डबल लेयर 15 रूपये और ट्रिपल लेयर 18 रूपये मिल रहे हैं।
महिलाओं ने 10 दिन में बनाये 13 हजार फेस प्रोटेक्टिव मास्क
राष्ट्रीय रोजगार आजीविका मिशन के जिला मिशन प्रबंधक अखिलेश कुमार ने बताया कि जिले में संचालित समूहों की महिलाओं द्वारा प्राथमिक तौर पर 80 हजार फेस प्रोटेक्टिव मास्क बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभी तक चार ब्लाक में 6 समूहों की महिलाओं ने फेस प्रोटेक्टिव मास्क बनाने का काम शुरू किया है। करीब 10 दिनों में महिलाओं के द्वारा बनाये गये करीब 13 हजार मास्क की सप्लाई विभिन्न विभागों में की गई है। अन्य समूहों की प्रशिक्षित महिलाओं को भी मास्क बनाने के कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे वे आर्थिक रूप से सबल होकर अपने परिवार की आजीविका में बेहतर योगदान कर सकें और अपने पैरों पर खड़ी होकर आत्मनिर्भर बन सकें।
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