आगे पढ़े क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार मुसाफिरखाना कोतवाली की कस्बा निवासी विकलांग सरस्वती देवी पत्नी देवी प्रसाद फिलवक्त दो मासूम बच्चियों को लेकर घर होते हुए भी बेघर है। उसकी वजह खुद विकलांग सरस्वती द्वारा पुलिस को दी गई तहरीर में लिखी है। वो ये कि सरस्वती ने जेठ गंगा प्रसाद पर आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर दिया था कि उक्त बिल्डिंग पर 21अगस्त को लेखपाल और पुलिस टीम कब्जा दिलाने के लिए पहुंची थी। इससे आक्रोशित जेठ गंगाराम ने अपने तीन बेटों और पड़ोसी नकुल टंडन के साथ मिलकर 24 अगस्त को सुबह घर पर धावा बोला, और पति से गाली-गलौज किया। बीच बचाव करने पहुंची सरस्वती को भी धक्का दिया और फिर देवी प्रसाद को यातना पहुँचाई। आरोप है कि इसमें पति देवी प्रसाद की मौत हो गई। पुलिस ने पत्नी की तहरीर पर 304, 504, 506, 147 के तहत FIR दर्ज कर 25 अगस्त की देर शाम पोस्टमार्टम करा के परिजनों को डेड बाडी दिया। जिसका उन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया। तब से आजतक सरस्वती दो मासूम बच्चियों को लेकर सड़क पर गुजारा कर रही है।
मृतक छोटे भाई की इन मजबूरियों का बड़े भाई ने उठाया फाएदा...
दरअस्ल मुसाफिरखाना कोतवाली के गल्ला मंडी में एक बेशकीमती बिल्डिंग है, जिसकी कीमत करोड़ों में आंकी गई है। बिल्डिंग के मालिकाना हक़ को लेकर दो सगे भाई देवी प्रसाद और गंगाराम गुप्ता में जंग छिड़ गई और इस जंग में गंगाराम गुप्ता देवी प्रसाद पर भारी पड़ा।
कारण ये रहा कि गंगाराम के पास अथाह पैसा है, जिससे उसने अधिकारियों के पेट भर रखे हैं और देवी प्रसाद की मजबूरी ये है कि गुरबत की मार के साथ-साथ उसे कैंसर जैसे भयावह रोग ने घेर रखा था, जबकि पत्नी पैरों से मजबूर और दो मासूम बच्चियां जिन्होंने अभी कायदे से दुनिया नहीं देखा है। इन सब का जिम्मा देवी प्रसाद के कांधों पर था लेकिन घातक बीमारी ने अपना ऐसा कहर ढाया कि वो क्या कमाए और क्या लाए? लोगों की मानें तो छोटे भाई की इस मजबूरी का फाएदा उठाकर बड़े भाई गंगा राम की आंखें जमीन और जायदाद पर टिक गई और एक दिन इन दोनों को घर से धक्का देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
एसडीएम मुसाफिरखाना ने पुलिस को दिया था कब्जा कराने का आदेश
इस हालत पर पहुंचने के बाद पीड़ित इलाज छोड़ पुलिस और अधिकारियों के चक्कर काट रहा था, कभी उसे कोतवाली तो कभी एसपी ऑफिस बुलाया जाता रहा, लेकिन कार्रवाई आजतक नहीं हो सकी। हद तो तब हो गई के एसडीएम मुसाफिरखाना ने पुलिस को तत्काल प्रभाव से पीडित को उक्त बिल्डिंग में कब्जा दिलाने का आदेश भी दिया, लेकिन निरंकुश पुलिस ने इस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया। पुलिस की लापरवाही का नतीजा ये हुआ कि गुरुवार को बड़े भाई और घर भर ने मिलकर पीडित देवी प्रसाद की हत्या कर डाली।
पिता की मौत के बाद खुला फर्जी वसीयत नामे का सच
गौरतलब रहे कि मुसफिखाना गल्ला मंडी बाजार में दर्जन भर दुकानें और करोड़ों की बिल्डिंग होते हुए कैंसर से पीड़ित देवी प्रसाद उसकी विकलांग पत्नी और 2 छोटी मासूम बच्चियां आशियाने न होने से अनाथों की सी जिंदगी बसर कर रहा था और उसके मरने के बाद उसकी लाश और अंत में उसका परिवार सड़क पर है, उसके पीछे की बड़ी वजह ये है कि बड़े भाई गंगाराम गुप्ता ने करोड़ों की बिल्डिंग को वसीयत के ज़रिए अपने नाम करा लिया था और घर के किसी सदस्य को कानों-कान खबर तक नहीं हुई थी। पिता के देहांत के बाद अक्सर दोनों भाइयों में छोटी-छोटी बातों पर तकरार-मारपीट होना शुरु हुई, मामला कोतवाली तक पहुंचा तब छोटे भाई देवी प्रसाद जानकारी करने तहसील पहुंचा था तो वहां बड़े भाई गंगाराम द्वारा की गई हेरा-फेरी उजागर हुई तो वो खुद ठगा सा महसूस करने लगा था।
विकलांगता ने कर रखा मां को मजबूर कैसे पूरी हो दो बच्चियों की ज़िम्मेदारी
पति देवी प्रसाद की इलाज के अभाव में मौत से सरस्वती टूट सी गई है, उसकी दुनिया अंधेरी सी हो गई है। ऐसा हो भी क्यों नहीं करोड़ों की जायदाद होकर भी जिस पत्नी का पति तड़प कर जिये और उसकी हत्या कर दी जाए तो कौन दिल वाला इसे सहन कर पाएगा। ऊपर से दो मासूम बच्चियों के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी खुद अब उसके कांधे पर है और वो पैर की विकलांगता के कारण भाग दौड़ में लाचार है। सरस्वती कहती है के आखिर करें तो हम क्या करें? बस अब एक ही रास्ता बचता है कि बच्चियों के साथ खुदखुशी कर लें।
डीएम बोले जांच कर होगी कार्यवाई
फिलहाल इस मामले में डीएम अमेठी योगेश कुमार का कहना है कि वो मामले की जांच कराएगें, जो अधिकारी और कर्मचारी दोषी होगा उसके विरुद्ध कार्यवाई की जाएगी।
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